राइट-विंग समर्थकों का आरोप, Twitter कर रहा है भेदभाव

#ProtestAgainstTwitter हैशटैग का इस्तेमाल कर राइट-विंग समर्थकों ने ट्विटर इंडिया का किया विरोध, निकाला शांति मार्च.

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ट्विटर कार्यालय दिल्ली के बाहर प्रोटेस्ट 
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ट्विटर कार्यालय दिल्ली के बाहर प्रोटेस्ट 
(फोटो: ट्विटर)

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ट्विटर के खिलाफ भेदभाव का आरोप लगाकार राइट-विंग समर्थक कैंपेन चला रहे हैं. ऐसे में ट्विटर पर ही #ProtestAgainstTwitter ट्रेंड कर रहा है. आरोप है कि ट्विटर के प्लेफॉर्म पर गैर-वामपंथी विचारधारा के लोगों के साथ 'सौतेला' व्यवहार किया जा रहा है. उनके ट्विटर हैंडल को बैन करने और सस्पेंड करने जैसे कदम उठाए जा रहे हैं.

इस मामले को लेकर राजधानी के साकेत मेट्रो स्टेशन के बाहर एक प्रोटेस्ट मार्च का आयोजन भी किया गया. प्रदर्शन करने वालों का कहना है कि ट्विटर अपने यूजर्स के वेरिफिकेशन को लेकर भी भेदभाव करता है.

ट्विटर पर चल रही इस बयानबाजी में यूजर्स ने ट्विटर इंडिया की पॉलिसी निदेशक महिमा कौल के ट्वीट का स्क्रीनशॉट भी शेयर किया जिसे काफी तेजी से लोग शेयर कर रहे हैं.

महिमा कौल के ट्वीट का स्क्रीन शॉट(फोटो: ट्विटर) 

राइट-विंग समर्थक यूजर्स ने ट्विटर को कांग्रेस का ट्विटर बताते हुए लिखा कि कानून सभी के लिए एक समान होना चाहिए. लेकिन ऐसा कई बार हुआ है जब इस प्रकार का भेदभाव हमें ट्विटर की तरफ से देखने को मिलता है.

कांग्रेस का ट्विटर(फोटो: ट्विटर) 
कथित रूप से बीजेपी समर्थकों ने ट्विटर पर राष्ट्रवादियों के प्रति भेदभाव का आरोप लगाया है और उनका कहना है कि शिकायत होने की स्थिति में ट्विटर इंडिया उनके समर्थकों के अकाउंट को बंद करने में जरा भी देर नहीं लगाती.
ट्विटर पर राष्ट्रवादियों के प्रति भेदभाव का आरोप(फोटो: ट्विटर) 

वहीं कांग्रेस समर्थक यूजर्स ने जवाब देते हुआ कहा कि जिन्हें भी लगता है कि उनके साथ भेदभाव हो रहा है उन्हें यहां रहने की कोई जरूरत नहीं है.

‘बीजेपी यूजर्स ट्विटर छोड़ो’(फोटो: ट्विटर) 
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यूथ फॉर सोशल मीडिया डेमोक्रेसी बैनर तले आयोजित इस शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में लोगों ने ट्विटर ऑफिस के बाहर मार्च निकाला.

प्रदर्शन और कैंपेन चलाने वाले लोगों का आरोप लगाया है कि वामपंथी और लिबरल लोगों के अकाउंट को लेकर ट्विटर का एप्रोच काफी एकतरफा है और उनके यूजर्स का अकाउंट बार-बार शिकायत करने के बाद भी बंद नहीं होता और वो लगातार अपने आईडी से प्रोपेगेंडा फैलाने का काम करते रहते हैं.

सोशल मीडिया का चुनाव पर कितना असर होगा?

ट्विटर पर ऐसा आरोप पहली बार नहीं लगा है लेकिन जहां तक सवाल चुनाव को प्रभावित करने का है वो राजनितिक दलों के लिए एक चिंता का सबब जरूर है. सभी दलों के समर्थक ट्विटर और दूसरे सोशल मीडिया पर अपनी मौजूदगी बनाए हुए हैं और अपने अकाउंट से अपनी पार्टी के विचारों को फैलाने में अहम भूमिका निभाते हैं.

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