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रेप केस में नपा राम कई कहानियां छोड़ गया . उसकी सारी घिनौनी करतूतें अब सबके सामने आ रही हैं. पूरे कांड का लोगों पर ये असर हुआ है कि फर्जी बाबाओं से मोह भंग होने लगा है.
दुनिया की जानी मानी रिसर्च एजेंसी प्यू रिसर्च सेंटर ने एक सर्वे कराया, जिसमें लोगों से अलग-अलग संस्थाओं पर उनके भरोसे को लेकर सवाल-जवाब किए गए.
इसमें सरकार, मिलिट्री, मीडिया, कोर्ट सिस्टम, ह्यूमन राइट्स आर्गेनाइजेशन, पुलिस, कार्पोरेशन, रिलीजियस लीडर्स को शामिल किया गया था.
पुलिस और कार्पोरेशन में भी कम लोगों को ही भरोसा है. सबसे ज्यादा भारतीयों ने सरकार और सेना पर भरोसा दिखाया.
चार्ट में उन लोगों का प्रतिशत दिया गया है जिन्होंने संस्थाओं को अहम मानकर उनमें भरोसा जताया है:
प्यू रिसर्च सेंटर ने अमेरिका के सेंटर फार स्ट्रेटजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के साथ मिलकर ये सर्वे किया.
इसमें चार विकासशील देशों भारत, मेक्सिको, इंडोनेशिया और कीनिया को शामिल किया गया. सर्वे में भारत के 15 राज्यों के करीब 2,464 लोगों ने इनपुट्स दिए.
चारों देशों के लोगों में भारतीयों ने ह्यूमन राइट्स आर्गेनाइजेशन्स पर सबसे कम भरोसा जताया है.
भारत के 60 फीसदी लोगों को लगता है कि ह्यूमन राइट्स आर्गेनाइजेशन एक अहम संस्थान हैं. इनमें से भी केवल 23 फीसदी को ही लगता है कि इनसे कोई अंतर पड़ता है.
ह्यूमन राइट्स आर्गेनाइजेशन्स पर सबसे ज्यादा भरोसा इंडोनेशिया के लोगों ने दिखाया. वहां के 75 फीसदी लोगों को लगता है कि ये एक अहम संस्थान है.
लेकिन हमारे लिए खुश होने की बात यह है कि फर्जी बाबाओं का नकाब खुल रहा है और लोगों को इनका असली चेहरा दिखने लगा है.
(इनपुट: बिजनेस स्टेंडर्ड से)
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