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कोरोना संकट शुरू होने के बाद पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया गया. उद्योग-धंधे ठप पड़ गए, इकनॉमी का पहिया रुक गया, करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए. इसके बाद कोरोना ने लोगों के जीवन में भारी बदलाव किए हैं. खासतौर पर युवाओं की मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ा है. युवा इन समस्याओं से कैसे जूझ रहे हैं इसे समझने के लिए पॉप्यूलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (PFI) ने सर्वे कराया है.
PFI के सर्वे में उत्तर प्रदेश राज्य से चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. उत्तर प्रदेश राज्य के 68% लोगों ने जवाब दिया कि उन्होंने लॉकडाउन के दौरान सोशल मीडिया का उपयोग बढ़ा दिया है. वहीं ऐसे लोग जो डिप्रेस्ड महसूस कर रहे हैं उनमें से सोशल मीडिया का यूज करने वालों का हिस्सा 92% है.
10 में से 6 छात्रों का मानना है कि वो अपनी नौकरी पाने की काबिलियत को लेकर चिंतित हैं. वहीं उत्तर प्रदेश में 4 में से 1 युवा ने लॉकडाउन के दौरान खुद को डिप्रेस्ड महसूस किया है. देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान युवाओं ने ये भी महसूस किया है कि उन पर काम करने का दबाव बढ़ गया है.
पॉप्यूलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (PFI) की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पूनम मुत्तरेजा का कहना है कि
स्टडी में एक खास बात सामने आई है कि युवा कोरोना वायरस के लक्षणों, केयर और सेफ्टी के तरीकों को लेकर काफी जागरुक हैं. लेकिन इन्हीं युवाओं को अपने स्वास्थाय और मेंटल हेल्थ को लेकर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
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