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कोरोना संकट के दौरान देश में सबसे अधिक प्रवासी मजदूरों को परेशानी उठानी पड़ रही है. वहीं, प्रवासी मजदूरों को लेकर केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार लगातार आमने-सामने दिख रहे हैं. दोनों एक दूसरे पर राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं. ममता बनर्जी का कहना था कि प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए 105 ट्रेन की व्यवस्था की गई है. इस पर रेल मंत्री पीयूष गोयल कहते हैं कि , मेरे वक्तव्य के बाद पश्चिम बंगाल सरकार की नींद खुली है.
उन्होंने आगे कहा कि पश्चिम बंगाल को अभी 105 ट्रेनें रोजाना चलाने की जरूरत है, वहीं अनकन्फर्म्ड समाचार है कि अगले 30 दिनों के लिये उन्होंने सिर्फ 105 ट्रेनों की अनुमति लिस्ट तैयार की है. यह पश्चिम बंगाल के कामगारों के साथ क्रूर मजाक है.
बता दें कि ममता बनर्जी ने 14 मई को ऐलान किया कि, वह फंसे हुए प्रवासी मजदूरों के लिए 105 अतिरिक्त स्पेशल ट्रेन की व्यवस्था की है. इसमें ये साफ नहीं है कि ये रोजाना चलाए जाएंगी की नहीं. वहीं, पीयूष गोयल का आरोप है कि ये 105 ट्रेन पूरे महीने चलाने की अनुमति दी गई है.
रेलमंत्री का आरोप है कि अभी तक पश्चिम बंगाल सरकार ने अपने पिछले हफ्ते की घोषणा के मुताबिक 8 ट्रेनों को भी चलाने नहीं दिया.
रेल मंत्री ने कहा, उत्तर प्रदेश ने 15 दिन से भी कम समय में 400 ट्रेनों को मंजूरी देकर अपने प्रवासी कामगारों को घर पहुंचाया. इस तरह की सक्रियता दिखाने की बजाय पश्चिम बंगाल की सरकार मजदूरों को जल्दी सहायता पहुंचाने से रोक रही है. पश्चिम बंगाल के गरीब मजदूरों को वहां की सरकार अपने घर नही आने दे रही है.
इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने पीएम मोदी के साथ सीएम की बैठक के दौरान कहा था कि, केंद्र को संकट की घड़ी में राजनीति नहीं करना चाहिए. हम अंतरराष्ट्रीय सीमाओं और अन्य बड़े राज्यों घिरे हुए हैं और इसका सामना करना चुनौतीपूर्ण है. सभी राज्यों को बराबर महत्व देना चाहिए और हमें टीम इंडिया की तरह काम करना
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