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IIT दिल्ली में पेश किया गया ‘शाकाहारी अंडा’,चखने वालों की लगी लाइन

लोगों में इस अंडे चखने की सबसे ज्यादा ललक देखने को मिली

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मसूर दाल से बनाए गए अंडे हुए आईआईटी दिल्ली में पेश
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मसूर दाल से बनाए गए अंडे हुए आईआईटी दिल्ली में पेश
(फोटो: iStock)

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क्या आपने कभी शाकाहारी अंडा देखा है? ये शाकाहारी अंडा आईआईटी दिल्ली के एक कार्यक्रम में काफी हिट रहा. आईआईटी दिल्ली में तीसरे इंडस्ट्री डे के मौके पर पौधों से बने शाकाहारी अंडे, जैविक तौर पर घुलनशील कार्डियक स्टंट, बिजली के बिना काम करने वाला हीटिंग सिस्टम और हल्की बुलेटप्रूफ जैकेट जैसे 200 इनोवेटिव प्रोडक्ट्स को प्रदर्शित किया गया.

लोगों में पौधों से बने अंडे चखने की सबसे ज्यादा ललक देखने को मिली. ये अंडे मसूर की दाल से बनाए गए हैं और इन्हें मांसाहारी खाने के विकल्प के तौर पर पेश किया गया, जबकि इसका स्वाद एकदम असली अंडे जैसा है.

एक दूसरे दल ने जैविक तौर पर घुलनशील कार्डियक स्टेंट का प्रदर्शन किया, जिसका इस्तेमाल धमनी की रुकावट दूर करने के लिए किया जाता है. धातु के स्टंट के विपरीत ये पांच साल में शरीर के अंदर ही गल जाते हैं.

दर्शकों ने भारतीय जवानों के लिए तैयार की गई एक बुलेटप्रूफ जैकेट को भी काफी पसंद किया, जो अभी इस्तेमाल की जा रही जैकेट के मुकाबले 30 प्रतिशत हल्की है.

फिनलैंड और जापान के प्रतिनिधि हुए शामिल

इस वार्षिक कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में प्रमुख कारोबारी, शोध समुदाय के लोग, फिनलैंड और जापान के प्रतिनिधि और आईआईटी दिल्ली के लोग शामिल हुए. इस प्रदर्शनी में आईआईटी दिल्ली के पूर्व छात्र भी शामिल हुए, जिन्होंने नवाचार आधारित अर्थव्यवस्था में निवेश की जरूरत पर जोर दिया.

‘भारत की स्वाभाविक प्रगति हमारे द्वारा खोजे गए और समझे गए विज्ञान पर, हम जो प्रौद्योगिकी सृजित और विनिर्मित कर सकते हैं, उस पर और हमारे लोग जिन उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं, उन पर निर्भर है। इसके लिए नवाचार जरूरी है’
नीति आयोग के सदस्य वी के पॉल ने मौके पर कहा

पॉल ने चिकित्सा उपकरण बाजार का उदाहरण दिया, भारत में इस समय जिसका बाजार सात से आठ अरब डॉलर का है.

उन्होंने कहा कि इस मांग का 75 प्रतिशत हिस्सा आयात से पूरा होता है. हालांकि भारत की प्रतिभा और क्षमता को देखते हुए ये बाजार 50 अरब डॉलर का हो सकता है और इस लक्ष्य को सिर्फ नवाचार से ही हासिल किया जा सकता है.

आईआईटी दिल्ली के निदेशक और रामगोपाल राव ने कहा कि शैक्षणिक समुदाय की भूमिका पहले शिक्षा तक सीमित थी, जो अब बदल गई है.

उद्योग दिवस के दौरान संस्थान के शोध छात्रों के लिए रोजगार सत्र का आयोजन भी किया गया, जिसमें 17 कंपनियों ने 70 से अधिक छात्रों का साक्षात्कार लिया.

(भाषा के इनपुट्स के साथ)

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