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सफर में, होटल में घर के बाहर निकलते ही जिस पानी पर आप सबसे सुरक्षित होने का भरोसा करते हैं, उसी में बड़ा धोखा है. अगर लगता है कि ब्रांडेड पानी सेहतमंद है तो ये भी गलतफहमी है.
बोतलबंद पानी की ग्लोबल जांच के नतीजे बहुत चौंकाने वाले हैं. इसमें दावा किया गया है कि दुनियाभर में 90 फीसदी बोतलबंद पानी में प्लास्टिक के कण मिले हैं. इसमें कोई ब्रांड बचा नहीं है. भारत के बिसलेरी और एक्वाफिना जैसे बड़े ब्रांड के पानी में भी प्लास्टिक मिला हुआ है.
स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू यॉर्क की एक रिसर्च में दावा किया गया है कि 90 फीसदी पानी की बोतलों में छोटे-छोटे प्लास्टिक के टुकड़े होते हैं. इसमें भारत, अमेरिका, चीन ,ब्राजील कोई नहीं बचा है.
रिसर्च टीम ने ब्राजील, चीन, भारत, इंडोनेशिया और अमेरिका समेत 9 देशों में मिलने वाले 11 नामी कंपनियों की 259 बोतलों की जांच की.
बोतलबंद पानी का अकेले भारत में ही करीब 8000 करोड़ रुपए से ज्यादा का कारोबार है. आंकड़ों के मुताबिक, साल 2016 में करीब 7,040 करोड़ रुपये के बोतलबंद पानी की बिक्री हुई थी.
आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका और थाईलैंड में बिकने वाले बोतलबंद पानी नेस्ले प्योर लाइफ में सबसे ज्यादा प्लास्टिक पाया जाता है. इसमें 1 लीटर पानी में 10,390 प्लास्टिक के कण पाए गए. इसके बाद दूसरे नंबर पर भारत है, जहां बोतलबंद पानी बेचने वाले ब्रांड बिस्लेरी के 1 लीटर पानी में 5,230 प्लास्टिक के कण पाए गए.
एक्वाफिना बनाने वाली कंपनी पेप्सिको इंडिया का कहना है, 'ऐक्वाफिना क्वालिटी का विशेष ख्याल रखता है. इसके लिए क्वालिटी कंट्रोल से संबंधित सभी मापदंडों को पूरा किया जाता है. मैन्यूफेक्चरिंग और फिल्टरेशन के दौरान भी विशेष एहतियात रखे जाते हैं.'
स्टडी में बताया गया है कि जो व्यक्ति एक दिन में एक लीटर बोतल बंद पानी पीता है वह हर साल प्लास्टिक के 10 हजार तक सूक्ष्म कण ग्रहण करता है.
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