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पीएम मोदी ने पुतिन से फोन पर की बात, रेफरेंडम जीतने पर दी बधाई

रूसी नागरिकों ने कई संशोधनों के पक्ष में वोटिंग की इनमें से सबसे अहम संशोधन राष्ट्रपति पुतिन का टर्म बढ़ाने का है.

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भारत
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भारत-चीन विवाद में रूस किसकी तरफ?
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भारत-चीन विवाद में रूस किसकी तरफ?
(फाइल फोटो: ट्विटर\@PMOIndia)

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 जुलाई को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ फोन पर बात की. पीएम मोदी ने पुतिन को द्वितीय विश्व युद्ध में रूस की जीत की 75वीं वर्षगांठ और संवैधानिक संशोधनों पर चुनाव जीतने की बधाई दी. रूसी नागरिकों ने कई संशोधनों के पक्ष में वोटिंग की है और इनमें से सबसे महत्वपूर्ण संशोधन राष्ट्रपति पुतिन का टर्म बढ़ाने का है.

पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन ने कोरोना वायरस के नकारात्मक प्रभावों को दूर करने के लिए दोनों देशों में उठाए गए कदमों पर चर्चा की. दोनों नेताओं ने कोरोना वायरस के बाद की दुनिया की चुनौतियों से जूझने के लिए भारत और रूस के मजबूत संबंधों की जरूरत पर सहमति जताई.

भारत में होगा द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन!

पीएम मोदी और पुतिन बातचीत के दौरान द्विपक्षीय संपर्क और परामर्श बनाए रखने के लिए सहमत हुए हैं, ताकि इस साल के अंत तक भारत में वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जा सके. पीएम मोदी ने द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति पुतिन के स्वागत के लिए अपनी उत्सुकता भी व्यक्त की.

रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने फोन कॉल के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया और सभी क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सामरिक साझेदारी को और मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता को भी दोहराया. 

भारत-चीन विवाद में रूस किसकी तरफ?

रूस को हमेशा से भारत के नजदीकी के तौर पर देखा गया है. रूस कई दशकों से भारत की रक्षा उपकरणों और हथियारों की जरूरत पूरा करता आया है. रूस के साथ S-400 मिसाइल सिस्टम की डील कर भारत ने इन रिश्तों को और मजबूत किया है.

लेकिन रूस के रिश्ते चीन के साथ भी ऐसे कुछ खराब नहीं हैं. अमेरिका के चीन पर सैंक्शन लगाने की वजह से उसकी रूस के साथ नजदीकी बढ़ी हैं. लेकिन रूस और चीन कई हजार किलोमीटर लंबा बॉर्डर भी साझा करते हैं और दोनों देशों के बीच सीमा विवाद भी चलता आया है.

भारत और चीन के बीच इस समय सीमा विवाद तनावपूर्ण स्थिति में है. ऐसे में पीएम मोदी का पुतिन को फोन कर बधाई देना और हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की रूस यात्रा को पुराने साथी को साथ लाने के नजरिए से भी देखा जा सकता है.

2036 तक सत्ता में रह सकेंगे पुतिन

1 जुलाई को रूस में कई संविधान संशोधनों पर रेफेरेंडम हुआ था. इन संशोधनों में सबसे महत्वपूर्ण है व्लादिमीर पुतिन को 2036 तक सत्ता में रखने वाले संशोधन. चुनावी अधिकारियों के मुताबिक, रेफेरेंडम में 77 फीसदी लोगों ने इन संशोधनों के पक्ष में वोट किया है.

2024 में व्लादिमीर पुतिन का राष्ट्रपति कार्यकाल खत्म हो रहा है. लेकिन इस संशोधन से पुतिन की टर्म लिमिट जीरो हो जाएगी और वो 2036 तक सत्ता में रह सकेंगे.

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