advertisement
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार से बांग्लादेश की दो दिवसीय यात्रा पर हैं. पीएम मोदी का यह दौरा बांग्लादेश की आजादी की स्वर्ण जयंती और देश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की जन्मशती के मौके पर हो रहा है.
उन्होंने बताया कि पीएम मोदी के अलावा नेपाल, श्रीलंका, भूटान और मालदीव के राष्ट्राध्यक्ष और शासन प्रमुख इस समारोह में शिरकत करने वाले हैं.
अपने दौरे में पीएम मोदी बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से बातचीत भी करेंगे. मोदी गोपालगंज जिले के तुंगीपाड़ा में 'बंगबंधु' शेख मुजीबुर्रहमान के स्मारक पर भी जाएंगे. वह उस स्थान पर जाने वाले पहले गणमान्य भारतीय व्यक्ति होंगे. वह ढाका के बाहरी क्षेत्र में दो हिंदू मंदिरों में भी जा सकते हैं.
बांग्लादेश के साथ भारत के रणनीतिक संबंधों को ‘360 डिग्री साझेदारी’ बताते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में कहा था कि पीएम मोदी की बांग्लादेश यात्रा ‘बहुत यादगार’ होगी. जयशंकर पीएम मोदी के इस दौरे से पहले एक दिवसीय यात्रा पर ढाका पहुंचे थे.
विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों देश बांग्लादेश की आजादी के 50 साल पूरे होने और बांग्लादेश-भारत के द्विपक्षीय संबंधों के 50 साल होने पर ‘मुजीब बर्षो’ मना रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘हम बांग्लादेश को महत्वपूर्ण पड़ोसी और ना सिर्फ दक्षिण एशिया बल्कि हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के सीमावर्ती इलाकों में मूल्यवान साझेदार के रूप में देखते हैं. हमारे संबंधों का हर परिणाम और उपलब्धि इस क्षेत्र को प्रभावित करती है.’’
उन्होंने कहा कि भारत सैद्धांतिक रूप से समझौते पर हस्ताक्षर करने को राजी हो गया है लेकिन नई दिल्ली में कुछ अंदरूनी मसलों के कारण वास्तव में हस्ताक्षर नहीं हो पाया.
विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने बताया है कि पीएम मोदी की बांग्लादेश यात्रा के दौरान कई समझौतों पर हस्ताक्षर किये जाएंगे. उन्होंने बताया, ''दोनों पक्ष प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान कई समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे. ये समझौते हमारे सहयोग के कई क्षेत्रों को कवर करेंगे, जैसे आपदा प्रबंधन, व्यापार और समुद्र विज्ञान.''
मिंट ने मामले की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति के हवाले से बताया है कि पीएम मोदी की यात्रा के दौरान अपेक्षित व्यापार समझौता एक व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) से अलग है, जिस पर दोनों देश बातचीत कर रहे हैं, हालांकि CEPA के लिए बातचीत जारी रहेगी.
बांग्लादेश उन देशों में शामिल है, जिनकी भारत ने बड़ी वित्तीय मदद की है. पीएम मोदी ने, ढाका की अपनी पिछली यात्रा (6-7 जून, 2015) के दौरान घोषणा की थी कि भारत बांग्लादेश को 2 बिलियन डॉलर का लाइन ऑफ क्रेडिट देगा. यह क्रेडिट 20 साल के रीपेमेंट पीरियड, 5 साल के ग्रेस पीरियड और एक फीसदी ब्याज दर वाला है.
ईयू रिपोर्टर के मुताबिक, बांग्लादेश ने इन क्रेडिट लाइन का इस्तेमाल अपने 14 इन्फ्रास्ट्रक्चर और ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट लिए किया है.
भारत के लिए बांग्लादेश क्यों मायने रखता है, इस बारे में जयशंकर ही काफी कुछ बता चुके हैं, लेकिन कुछ और प्वाइंट्स से भी इसे समझा जा सकता है, जैसे देश के निजी क्षेत्र की पहल भी भारत सरकार के बांग्लादेश के साथ संबंधों को बढ़ाने की कोशिश के समानांतर चल रही है. पिछले कुछ सालों में भारती एयरटेल, टाटा मोटर्स, सन फार्मा और पार्ले प्रोडक्ट्स जैसी प्रमुख भारतीय कंपनियों ने बांग्लादेश में निवेश किया है.
2016 में ढाका में आयोजित बांग्लादेश निवेश और नीति शिखर सम्मेलन में, भारत के दो बड़े औद्योगिक समूहों, रिलायंस और अडानी ने बांग्लादेश में 1100 करोड़ डॉलर का बड़ा निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई थी.
क्षेत्रीय कनेक्टविटी बढ़ाने के लिए भी बांग्लादेश भारत के लिए काफी अहम है. हाल ही में 'मैत्री सेतु' का उद्घाटन करते हुए शेख हसीना और पीएम मोदी के बीच वर्चुअल समिट ने क्षेत्रीय कनेक्टिविटी पर ध्यान केंद्रित किया है.
बांग्लादेश सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को लेकर भी भारत के लिए काफी मायने रखता है. उसने भारत को बड़ी संख्या में पूर्वोत्तर भारतीय विद्रोहियों को सौंपा है जो बांग्लादेशी धरती से भारत विरोधी अभियान चला रहे थे.
बांग्लादेश में अनुसूचित जाति समूह मातुआ समुदाय पीएम मोदी का स्वागत करने के लिए तैयार है. न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, पश्चिम बंगाल की कम से कम छह संसदीय सीटों में इस समुदाय की उपस्थिति है.
मातुआ समुदाय की जड़ें बांग्लादेश से जुड़ी हुई हैं. विभाजन के दौरान ये बड़ी संख्या में पश्चिम बंगाल में चले आए थे, खासकर 2001-02 में खालिदा जिया की सरकार के समय में हिंदू-विरोधी अभियानों के दौरान भी इनका स्थानांतरण हुआ था.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)