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कन्याकुमारी में ध्यान लगाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) भविष्य पर नए सिरे से फोकस करते हुए काम पर लौट आए हैं. वापस आने के बाद पीएम ने अपने मंत्रिमंडल समेत कई नेताओं और विभिन्न मुद्दो को लेकर बैठकें कीं. इससे पहले पीएम ने देश के नाम एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने चुनाव के दौरान मिले लोगों का प्यार भारत के भविष्य के लिए अपने दृष्टिकोण साझा किया.
भारत के लोगों को संबोधित एक पत्र में पीएम ने लिखा, लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव 2024 का लोकसभा चुनाव आज समाप्त हो रहा है. कन्याकुमारी में तीन दिवसीय आध्यात्मिक यात्रा के बाद, मैं अभी-अभी दिल्ली के लिए विमान में सवार हुआ हूं. मेरा मन बहुत सारे अनुभवों और भावनाओं से भरा हुआ है... मैं अपने भीतर असीम ऊर्जा का प्रवाह महसूस कर रहा हूं. 2024 का लोकसभा चुनाव अमृत काल का पहला चुनाव था. पीएम ने आगे लिखा,
पीएम मोदी ने पत्र में चुनाव के उत्साह का जिक्र करते हुए लिखा कि "स्वाभाविक है कि चुनाव का उत्साह मेरे दिल और दिमाग में गूंज रहा था. रैलियों और रोड शो में भीड़ मेरी आंखों के सामने आ गई. नारी शक्ति का आशीर्वाद, विश्वास, स्नेह, यह सब दिल को छू लेने वाला अनुभव था. मेरी आंखें नम हो रही थीं... मैंने एक 'साधना' (ध्यान की अवस्था) शुरू की. इसके साथ ही सभी तरह की राजनीतिक बहसें, वार-पलटवार, हमले और जवाबी हमले, आरोप-प्रत्यारोप शून्य में विलीन हो गए. मेरे भीतर वैराग्य की भावना पनपने लगी... मेरा मन बाहरी दुनिया से पूरी तरह से अलग हो गया."
प्रधानमंत्री मोदी ने यह पत्र 1 जून को कन्याकुमारी से दिल्ली लौटते समय अपने विमान में लिखा.
कन्याकुमारी में ध्यान की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके भीतर "वैराग्य की भावना" आ गई और उनका मन "बाहरी दुनिया से पूरी तरह से अलग हो गया."
उन्होंने लिखा, " मैं भगवान का भी आभारी हूं कि उन्होंने मुझे जन्म से ही ये मूल्य दिए, जिन्हें मैंने संजोया है और जीने की कोशिश की है."
प्रधानमंत्री ने पत्र में आगे लिखा, "स्वामी विवेकानंद ने एक बार कहा था, "हर राष्ट्र के पास देने के लिए एक संदेश होता है, पूरा करने के लिए एक मिशन होता है, पहुंचने के लिए एक नियति होती है."
हजारों वर्षों से भारत इसी सार्थक उद्देश्य की भावना के साथ आगे बढ़ रहा है. भारत हजारों वर्षों से विचारों का उद्गम स्थल रहा है. हमने जो कुछ भी अर्जित किया है, उसे कभी भी अपनी निजी संपत्ति नहीं माना या उसे केवल आर्थिक या भौतिक मापदंडों से नहीं मापा. इसलिए, 'इदं-न-मम' (यह मेरा नहीं है) भारत के चरित्र का एक अंतर्निहित और स्वाभाविक हिस्सा बन गया है.
उन्होंने देश की आजादी के लिए लड़ी गई पहली स्वतंत्रता कि लड़ाई का भी जिक्र किया उन्होंने कहा,
प्रधानमंत्री मोदी ने डिजिटल इंडिया की सफलता और अपने कार्यकाल में भारत को विभिन्न क्षेत्रों में मिली उपलब्धि के बारे में लिखा. उन्होंने लिखा, आज भारत का शासन मॉडल दुनिया भर के कई देशों के लिए एक मिसाल बन गया है. मात्र 10 वर्षों में 25 करोड़ लोगों को गरीबी से ऊपर उठाना अभूतपूर्व है. आज दुनिया भर में प्रो-पीपुल गुड गवर्नेंस, एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स और ब्लॉक की चर्चा हो रही है. गरीबों को सशक्त बनाने से लेकर कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति तक की डिलीवरी के हमारे प्रयासों ने दुनिया को प्रेरित किया है. भारत का डिजिटल इंडिया अभियान अब पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल है, जो दिखाता है कि हम गरीबों को सशक्त बनाने, पारदर्शिता लाने और उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए कैसे तकनीक का उपयोग कर सकते हैं.
पीएम ने अपने पत्र में भारत का दूसरे देशों के संग रिश्तों और उनके साथ मिल कर देश के विकास पर बात की. उन्होंने कहा, आज भारत को ग्लोबल साउथ की महत्वपूर्ण आवाज के रूप में स्वीकार किया जा रहा है. भारत की पहल पर ही अफ्रीकी संघ जी20 समूह का हिस्सा बना. यह अफ्रीकी देशों के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होने वाला है.
स्वामी विवेकानंद ने 1897 में कहा था कि हमें अगले 50 साल सिर्फ राष्ट्र के लिए समर्पित करने हैं. इस आह्वान के ठीक 50 साल बाद 1947 में भारत को आजादी मिली. प्रधानमंत्री मोदी ने आगे लिखा,
आज हमारे पास वही सुनहरा अवसर है. आइए अगले 25 साल राष्ट्र के लिए समर्पित करें. हमारे प्रयास आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मजबूत आधार तैयार करेंगे, जो भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा. देश की ऊर्जा और उत्साह को देखते हुए मैं कह सकता हूं कि लक्ष्य अब दूर नहीं है. आइए हम तेजी से कदम उठाएं... आइए हम सब मिलकर एक विकसित भारत बनाएं.
(इनपुट-IANS)
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