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SCO में भारत इकलौता देश,जिसने चीन के BRI प्रोजेक्ट का किया विरोध 

मोदी ने पाकिस्तानी राष्ट्रपति से भी गर्मजोशी से मिलाया हाथ

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भारत ने SCO में चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना (बीआरआई) का विरोध किया
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भारत ने SCO में चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना (बीआरआई) का विरोध किया
(फोटो: PTI)

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शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के 8 देशों में भारत अकेला ऐसा देश रहा जिसने चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना (बीआरआई) का विरोध किया. भारत कहता रहा है कि वो ऐसी किसी परियोजना को स्वीकार नहीं कर सकता जो संप्रभुता और क्षेत्रीय एकता पर उसकी चिंताओं को नजरअंदाज करती हो.

मोदी ने शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन में भरोसा दिया कि समावेशिता को बढ़ावा देने वाली हर परियोजना को भारत समर्थन करेगा. उन्होंने कहा, ‘‘पड़ोसी देशों के साथ संपर्क सुविधाओं का विस्तार भारत की प्राथमिकता है. हम ऐसी संपर्क परियोजनाओं का स्वागत करते हैं जो टिकाऊ हो और दूसरे देशों की संप्रभुता औरअखंडता का सम्मान करती हों.''

जब मोदी ने पाकिस्तानी राष्ट्रपति से मिलाया हाथ

इससे अलग, भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबधों के बीच इस शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी और पाकिस्तानी राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने गर्मजोशी से हाथ मिलाया.

एससीओ देशों के बीच समझौतों पर हस्ताक्षर के बाद ममनून हुसैन चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बातचीत करते हुए चल रहे थे. इस बीच पीएम मोदी सामने से आए. पहले उन्होंने जिनपिंग से हाथ मिलाया, फिर उनके साथ खड़े पाकिस्तानी राष्ट्रपति की तरफ भी हाथ बढ़ाया. दोनों के बीच हल्की फुल्की बातचीत भी हुई.

देखिए वीडियो-

मोदी और हुसैन 18वें एससीओ शिखर सम्मेलन की समाप्ति पर मीडिया ब्रीफिंग के दौरान दूसरे देशों के नेताओं के साथ मौजूद थे. भारत और पाकिस्तान ने इस सम्मेलन में स्थायी सदस्य के रूप में शिरकत की थी.

मोदी ने अपनी स्पीच में अफगानिस्तान की स्थिति का जिक्र करते हुए आंतकवाद की चुनौती और उसके प्रभाव पर चर्चा की. वहीं हुसैन ने अपनी स्पीच में इस बात का भरोसा दिलाया कि उनके देश में होने वाले आम चुनाव पाकिस्तान में आर्थिक स्थिरता को और मजबूत करेंगे. उन्होंने कहा कि चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना के हिस्से के रूप में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया है.

(फोटो: PTI)

पीएम मोदी ने रविवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन से इतर कजाखिस्तान, किर्गिस्तान और मंगोलिया के राष्ट्रपतियों से अलग-अलग द्विपक्षीय वार्ता की. मोदी ने एक ट्वीट में कहा कि भारत कजाखिस्तान के साथ अपने रिश्तों को बहुत अहमियत देता है. मोदी ने कजाखिस्तान राष्ट्रपति नजरबायेव से ‘‘सार्थक '' मुलाकात की और उनके देश को अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया.

क्या है शंघाई सहयोग संगठन?

शंघाई सहयोग संगठन यूरेशिया का राजनीतिक आर्थिक और सैनिक संगठन है. यूरेशिया शब्द यूरोप और एशिया से मिलकर बना है. 15 जून 2001 को चीन में शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन या शंघाई सहयोग संगठन का एलान किया गया.

शंघाई सहयोग संगठन में आठ देश सदस्य हैं(फोटो: PTI)
एससीओ में फिलहाल 8 देश सदस्य हैं जिनमें भारत, कजाखिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान शामिल हैं. भारत और पाकिस्तान पिछले साल संस्था के सदस्य बने.

शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देश आतंकवाद, कट्टरपंथ और अलगाववाद से मिलकर निपटने पर सहमत होते हैं. लेकिन पश्चिम देशों की मीडिया एससीओ का असली मकसद नाटो को जवाब देना मानती है.

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Published: 10 Jun 2018,09:05 PM IST

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