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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 14वें सत्र में देशवासियों से जलवायु परिवर्तन, मुद्रा बैंक, अंगदान और एक भारत श्रेष्ठ भारत योजना के बारे में बात की.
पढ़िए प्रधानमंत्री के मन की बात उनके ही शब्दो में.
आजकल पूरा विश्व जलवायु में हो रहे परिवर्तनों से चिंतित है. पृथ्वी का तापमान अब और बढ़ना नहीं चाहिए. ये हर किसी की जिम्मेदारी भी है चिंता भी है. ऊर्जा की बचत करके तापमान को बढ़ने से बचाया जा सकता है.
सरकार जलवायु परिवर्तन से जुड़ी कई योजनाएं चला रही हैं. इनमें एलईडी बल्ब की योजना प्रमुख है. मैंने एक बार कहा था कि पूर्णिमा की रात को स्ट्रीट लाइट्स बंद करके अंधेरा करके घंटे भर पूर्ण चांद की रोशनी में नहाना चाहिए. उस चांद की रोशनी का अनुभव करना चाहिए.
मैं ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ को एक योजना का रूप देना चाहता हूँ. इसके लिए मैंने MyGov.in पर सुझाव मांगे थे कि योजना की संरचना कैसी हो? लोगो क्या हो? जन-भागीदारी कैसे बढ़े? क्या रूप हो?
मुझे बताया गया है कि काफी सुझाव आ रहे हैं लेकिन मैं और अधिक सुझावों की अपेक्षा करता हूं. मैं एक बहुत ही संक्षिप्त स्कीम की अपेक्षा करता हूं. एकता अखंडता के इस मन्त्र ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ को एक-एक हिन्दुस्तानी को जोड़ने वाला कैसे बना सकते हैं? सरकार क्या करे? समाज क्या करे? सामाजिक संस्थाएं क्या करे? बहुत सी बातें हो सकती हैं. मुझे विश्वास है कि आपके सुझाव जरूर काम आयेंगे.
देश के छोटे-छोटे उद्यमियों को मदद करने के लिए मुद्रा बैंक योजना चल रही है. इसकी शुरुआत अच्छी हुई है. धोबी, नाई, अखबार या दूध बेचनेवाले जैसे छोटे-छोटे उद्यमियों को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना से करीब 66 लाख लोगों को 42 हजार करोड़ रूपया मिला है. इनमें 24 लाख महिलाएं हैं. मदद पाने वालों में एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के लोग हैं जो खुद मेहनत करके अपने पैरों पर सम्मान से परिवार को चलाने का प्रयास करते हैं.
हमारे देश की सभी बैंक और ज्यादा संवेदनशील हों और ज्यादा से ज़्यादा छोटे लोगों को मदद करें. सचमुच में देश की अर्थव्यवस्था को यही लोग चलाते हैं.
मैंने अंगदान के लिए नोटो हेल्पलाइन की चर्चा की थी. मुझे बताया गया है कि मन की बात के इस सत्र के बाद फोन कॉल्स में करीब 7 गुना वृद्धि हुई और वेबसाइट पर ढाई गुना वृद्धि हो गयी. 27 नवम्बर को ‘भारतीय अंगदान दिवस’ के रूप में मनाया गया.
ट्रांसप्लांट के लिए इंतजार कर रहे मरीजों, अंगदानियों और अंग प्रत्यर्पण के लिए राष्ट्रीय पंजीकरण व्यवस्था 27 नवंबर को शुरू की गई है.
समाज जीवन में उत्सव का अपना एक महत्त्व होता है. कभी उत्सव घाव भरने के लिये काम आते हैं, तो कभी उत्सव नई ऊर्जा देते हैं.
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