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जानिए द. एशिया की सबसे आधुनिक चेनानी-नाशरी रोड टनल की 5 खास बातें

टनल में ट्रांसवर्स वेंटिलेशन से युक्त यह दुनिया की 6 वें नंबर की टनल है

सुदीप्त शर्मा
भारत
Updated:
(फोटो: द क्विंट)
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(फोटो: द क्विंट)
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज जम्मू-कश्मीर में चेनानी-नाशरी टनल का उद्धाटन करेंगे. चेनाली और नाशरी के बीच स्थित यह टनल दक्षिण एशिया की सबसे लंबी रोड टनल है. इस टनल के जरिए नेशनल हाईवे 44 पर बटोट, कुद और पाटनीटॉप को बायपास किया जाएगा. यह भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र है. नेशनल हाईवे 44 के जरिए जम्मू से श्रीनगर की यात्रा की जाती है.

टनल का बाहरी दृश्य. (फोटो: जुनैद सैयद हाशमी)

1. टनल की लंबाई 9.2 किमी है. यह 285 किमी लंबे फोरलेन का हिस्सा है. इसे इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फायनेंशियल सर्विस ने बनाया है. टनल को बनाने में 3720 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं.

2. टनल समुद्र तल से करीब 1200 मीटर की ऊंचाई पर है. इसके बनने से जम्मू और श्रीनगर की यात्रा में दो घंटे की कमी आएगी. साथ ही 30 किमी का अंतर भी कम होगा (भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र होने के कारण पहले के रास्ते पर स्पीड काफी धीमी होती है). यह भारत की पहली टनल है जिसमें विश्वस्तरीय इंटीग्रेटेड टनल कंट्रोल सिस्टम का उपयोग हुआ है.

3. इसमें दो पैसेज (रास्ते) हैं. मुख्य पैसेज 13 मीटर व्यास का है. इसी से ट्रैफिक का संचालन होगा. वहीं एक दूसरा पैसेज जो करीब 6 मीटर का है, उसे इमरजेंसी में उपयोग किया जाएगा. इन दोनों ट्यूब्स को जोड़ने के लिए 9 किमी लंबी टनल में 29 क्रॉस पैसेज बनाए गए है.

टनल का मुख्य पैसेज. (फोटो: जुनैद सैयद हाशमी)
साइड पैसेज की तस्वीर. (फोटो: जुनैद सैयद हाशमी)
इस टनल की सुरक्षा व्यवस्था बेहद चौकस है. (फोटो: जुनैद सैयद हाशमी)

4. हर 8 मीटर पर अंदर ताजी हवा लाने के लिए इनलेट्स हैं वहीं 100 मीटर पर दूषित हवा को बाहर करने के लिए एक्जॉस्ट की व्यवस्था की गई है. ट्रांसवर्स वेंटिलेशन सिस्टम से युक्त, यह दुनिया की छठवीं टनल है वहीं भारत में यह इस तरह का पहला प्रयोग है.

5. इमरजेंसी में मदद लेने के लिए हर 150 मीटर पर एसओएस बॉक्स लगाए गए हैं. इमरजेंसी में इनके जरिए मदद मांगी जा सकती है. वहीं टनल में मोबाइल फोन्स भी काम करेंगे. बीएसएनएल, एयरटेल और आइडिया ने टनल के अंदर इसकी व्यवस्था की है. कोहरे और धुएं के दौरान दृश्यता बनाए रखने के लिए हल्की रोशनी की भी व्यवस्था की जाएगी.

टनल बनने का काम 23 मई 2011 में शुरू हुआ था. इसे मई 2014 में पूरा भी होना था. लेकिन अब जाकर यह काम पूरा हो पाया है.

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Published: 02 Apr 2017,02:46 PM IST

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