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आंकड़ों में बिंदी या दश्मलव की बड़ी अहमियत होती है बिंदी इधर से उधर हुई या गायब हुई तो समझिए मामला गड़बड़ाया.
पीएम मोदी ने लोकसभा में भाषण में बैंकिंग सिस्टम में बढ़ते एनपीए के लिए कांग्रेस की यूपीए सरकार को जिम्मेदार ठहराया. मोदी ने कहा, आपने (यूपीए) बताया कि एनपीए 36 परसेंट है. साल 2014 में जब हमने देखा, कागजात खंगाले गए...तो आपने जो देश को बताया था वो गलत आंकड़ा था, 82 परसेंट एनपीए था.’
मोदी ने अपने करीब 90 मिनट के भाषण में ज्यादातर वक्त कांग्रेस को निशाना बनाया और तमाम तरह के दावे किए. आइए जानते हैं कि पीएम मोदी के दावों की हकीकत क्या है?
दावाः एनपीए के लिए यूपीए सरकार और उसकी बैंक नीतियां जिम्मेदार
हकीकतः बैंकों के नॉन- परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) कई कारणों की वजह से बढ़ा. इसमें एक कारण साल 2008-09 की वैश्विक मंदी भी है. साल 2000 से पहले जो बैंक नीतियों के अस्तित्व में आईं, उनमें एनडीए का भी अहम रोल था. क्योंकि इससे पहले एनडीए सत्ता में थी. इंडिया स्पेंड की रिपोर्ट के मुताबिक, कॉमर्शियल बैंकों ने परियोजनाओं की साख के मूल्यांकन करने में विशेषज्ञता के बावजूद लंबे वक्त की परियोजनाओं के लिए लोन दिया. इसके अलावा कॉर्पोरेट बैड लोन 2010-11 के बाद बढ़कर 67 फीसदी तक हो गया. इसके अलावा लोन की वसूली में भी गिरावट आई.
दावाः पूर्वोत्तर राज्यों का विकास होना चाहिए, इसी वजह से हमने इसके विकास के लिए काम किया.
हकीकतः डेवलेपमेंट मिनिस्ट्री ने पूर्वोत्तर राज्यों के विकास के लिए 2018 के बजट में 12 फीसदी की बढोतरी की. जबकि पूर्वोत्तर के ग्रामीण आजीविका परियोजना और बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल का बजट 16 और 33 फीसदी कम कर दिया गया.
दावाः बीदर-कलबुर्गी रेल लाइन को वाजपेयी सरकार ने मंजूरी दी थी. लेकिन साल 2004 से लेकर 2013 तक इस पर कुछ नहीं हुआ. इस पर केवल बीएस येदयुरप्पा सरकार में काम हुआ.
हकीकतः 107 किलोमीटर लंबी बीदर-कलबुर्गी रेल लाइन का शिलान्यास साल 2000 में किया गया था. इस प्रोजेक्ट की संशोधित अनुमानित लागत रेल मंत्रालय को साल 2007 में मिली. इसमें केंद्र और कर्नाटक सरकार पर 50-50 फीसदी की हिस्सेदारी थी. कर्नाटक इकनॉमिक सर्वे 2014-15 के मुताबिक, साल 2014 तक ट्रैक का 91.5 फीसदी काम पूरा हो चुका था.
दावाः अगर सरदार वल्लभभाई पटेल देश के पहले पीएम होते तो पूरा कश्मीर भारत का हिस्सा होता
हकीकतः पीएम मोदी ने देश के पहले उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल का जिक्र किया और लोकसभा में निंदा करते हुए कांग्रेस पर देश को बांटने का आरोप लगाया. जबकि विशेषज्ञों और लेखकों का कहना है कि पटेल वास्तव में कश्मीर को भारत में शामिल करने के लिए उत्सुक नहीं थे.
सेना के एक पूर्व अफसर और इतिहासकार श्रीनाथ राघवन ने ट्विटर पर लिखा कि एक वक्त ऐसा भी आया जब पटेल जूनागढ़ और हैदराबाद को भारत में जोड़ने के बदले पाकिस्तान को कश्मीर देने के लिए तैयार हो गए थे.
ऐसा पहली बार नहीं है जब पीएम मोदी से भाषण के दौरान चूक हुई है. हालही में डावोस में वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम में अपने भाषण के दौरान भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बड़ी भूल कर बैठे थे. उन्होंने भारत में वोटर्स की संख्या 600 करोड़ बता डाली थी. मोदी से अपनी सरकार के विजन और कामों का जिक्र करते हुए यह गलती हुई थी.
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