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मन की बात | महात्मा गांधी ने स्वच्छता को स्वाधीनता से जोड़ा- PM नरेंद्र मोदी

मन की बात के 81वें एपिसोड में देश को संबोधित कर रहे हैं प्रधानमंत्री मोदी

क्विंट हिंदी
भारत
Updated:
<div class="paragraphs"><p>मन की बात</p></div>
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मन की बात

(फोटो- क्विंट हिन्दी) 

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने रविवार को मन की बात (Mann Ki Baat) कार्यक्रम के 81वें संस्करण में देश को संबोधित किया. उन्होंने इस कार्यक्रम में स्वच्छता, नदियों, युवाओं के स्टार्ट-अप्स और स्वाधीनता आंदोलन का जिक्र करते हुए, महात्मा गांधी के योगदान की बात की. उन्होंने कहा कि ये महात्मा गांधी ही तो थे, जिन्होंने स्वच्छता को जन-आंदोलन बनाने का काम किया. महात्मा गांधी ने स्वच्छता को स्वाधीनता के सपने के साथ जोड़ दिया था.

उन्होंने खादी वस्त्रों का जिक्र करते हुए स्वतंत्रता आंदोलन में खादी के गौरव की बात की और मौजूदा वक्त में खादी के बढ़ते उत्पादन को सराहा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मुझे मिलने वाले उपहारों की नीलामी में मिलने वाले धन का उपयोग नमामि गंगे प्रोजेक्ट में किया जाएगा.

पीएम मोदी ने खेती के नए विकल्पों पर जोर देते हुए, पुलवामा के दो भाईयों अहमद शेख और मुनीर अहमद को न्यू इंडिया की मिसाल बताया.

यहां पढ़िए उनके भाषण की बड़ी बातें.

  • वैसे तो हम लोग बहुत सारे दिवस याद रखते हैं, तरह-तरह के दिवस मनाते हैं. लेकिन एक ऐसा दिवस है, जो हम सभी को याद रखना चाहिए. यह है वर्ल्ड रिवर डे. हमारे पश्चिमी हिस्से में गुजरात और राजस्थान में पानी की बहुत कमी है. कई बार अकाल पड़ा है. इस मौके पर गुजरात में जल जीवनी एकादशी मनाते हैं. मतलब कि जल की एक-एक बूंद को अपने में समेटना.

  • गुजरात में नर्मदा और साबरमती नदी को जोड़ दिया गया, जिससे साबरमती नदी का प्रवाह निरंतर हो गया.

  • वर्तमान समय में एक विशेष ई-ऑक्शन, ई-नीलामी चल रही है, जिसमें उन उपहारों को नीलाम किया जा रहा है जो मुझे समय-समय पर लोगों ने दिए. इस नीलामी से जो पैसा आएगा, वो नमामि गंगे अभियान के लिए समर्पित किया जाता है.

  • हमारे आज के युवावों को ये आवश्यक रूप से जानना चाहिए कि साफ-सफाई के अभियान ने कैसे आजादी के आंदोलन को एक निरंतर ऊर्जा प्रदान की थी. ये महात्मा गांधी ही तो थे, जिन्होंने स्वच्छता को जन-आंदोलन बनाने का काम किया. महात्मा गांधी ने स्वच्छता को स्वाधीनता के सपने के साथ जोड़ दिया था.

  • आज हम आजादी के 75वें साल में जब आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तो हम संतोष से कह सकते हैं कि आजादी के आंदोलन में जो गौरव खादी को था. आज हमारी युवा पीढ़ी खादी को गौरव दे रही है. आज खादी और हैंडलूम का उत्पादन कई गुना बढ़ा है और उसकी मांग भी बढ़ी है.

  • कुछ दिन पहले सियाचिन के दुर्गम इलाके में 8 दिव्यांगजनों की टीम ने जो कमाल कर दिखाया है, वो हर देशवासी के लिए गर्व की बात है. इस टीम ने सियाचिन ग्लेशियर की 15 हजार फीट से भी ज्यादा की ऊंचाई पर स्थित ‘कुमार पोस्ट’ पर अपना परचम लहराकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया है.

  • आज देश में दिव्यांगजनों के कल्याण के लिए कई प्रयास हो रहे हैं. मुझे उत्तर प्रदेश में हो रहे ऐसे ही एक प्रयास One Teacher, One Call के बारे में जानने का मौका मिला. बरेली में यह अनूठा प्रयास दिव्यांग बच्चों को नई राह दिखा रहा है. इस अभियान का नेतृत्व डभौरा गंगापुर में एक स्कूल प्रिंसिपल दीपमाला पांडेय जी कर रही हैं.

  • आज हम लोगों की जिंदगी का हाल ये कि एक दिन में सैंकड़ों बार कोरोना शब्द हमारे कान पर गूंजता है, सौ साल में आई सबसे बड़ी वैश्विक महामारी, कोरोना ने हर देशवासी को बहुत कुछ सिखाया है. Healthcare और Wellness को लेकर आज जिज्ञासा भी बढ़ी है और जागरूकता भी. हमारे देश में पारंपरिक रूप से ऐसे नेचुरल प्रोडक्ट्स प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं, जो सेहत के लिए बहुत फायदेमंद हैं.

  • पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर, खेती में हो रहे नए प्रयोग, नए विकल्प लगातार स्वरोजगार के लिए साधन बना रहे हैं. पुलवामा के दो भाईयों अहमद शेख और मुनीर अहमद की कहानी भी इसी बात का उदाहरण है. उन्होंने जिस प्रकार अपने रास्ते तलाशे हैं वो, न्यू इंडिया की एक मिसाल है. 39 साल के बिलाल अहमद जी हाई क्वालिफाइड हैं, उन्होंने कई डिग्रियां हासिल कर रखी हैं. अपने उच्च शिक्षा से जुड़े अनुभवों का इस्तेमाल आज वो कृषि में खुद का स्टार्ट-अप बनाकर कर रहे हैं.

  • 25 सितंबर को देश की महान संतान पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जन्म-जयंती होती है. दीन दयाल जी, पिछली सदी के सबसे बड़े विचारकों में से एक हैं. उनका अर्थ-दर्शन, समाज को सशक्त बनाने के लिए उनकी नीतियां, उनका दिखाया अंत्योदय का मार्ग, आज भी प्रासंगिक है.

  • दीन दयाल जी के जीवन से हमें कभी हार न मानने की भी सीख मिलती है. विपरीत राजनीतिक और वैचारिक परिस्थितियों के बावजूद भारत के विकास के लिए स्वदेशी मॉडल के विजन से वे कभी डिगे नहीं. उनके जीवन से युवाओं को काफी मदद मिल सकती है, इसलिए मेरा आग्रह है कि युवा उनके बारे में जरूर जानें.

  • विश्व रिवर डे यानी विश्व नदी दिवस, यह एक ऐसा दिन है जो भारत की परंपराओं से बहुत सुसंगत है. इसलिए हमें इसको याद रखना चाहिए. सदियों से हम जिस परंपराओं से जुड़े हैं, यह उससे जोड़ने वाला है.

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बता दें पिछले दिनों 16 सितंबर को पीएम मोदी ने इस कार्यक्रम के लिए जनता से सुझाव भी मांगा था.

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Published: 26 Sep 2021,11:12 AM IST

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