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नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में जबरदस्त जीत हासिल की है. बीजेपी ने 303 सीट जीत कर अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया. गुरुवार को उस जीत का असली जश्न है. नरेंद्र मोदी समेत उनके मंत्री शपथ लेने जा रहे हैं. लेकिन जीत के साथ साथ चुनौतियां भी कम नहीं है. आइए जानते हैं मोदी सरकार की क्या हैं 10 बड़ी चुनौतियां.
चुनाव से कुछ वक्त पहले से ही देश में अर्थव्यवस्था में कमजोरी को लेकर सवाल उठने लगे थे. कंज्यूमर डिमांड में कमी, दिसंबर महीने की तुलना में जनवरी में एक्सपोर्ट में गिरावट. देश के इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन में गिरावट और महंगाई में इजाफा. इस वित्त वर्ष में जीडीपी विकास दर में उम्मीद से कम रहने का अनुमान लगाया गया है. ऐसे में पीएम मोदी के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही होगी कि अर्थव्यवस्था को फिर से सही रफ्तार किस तरह पकड़ाएं.
नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन (NSSO) की लीक्ड रिपोर्ट के मुताबिक फाइनेंसियल ईयर 2017-18 में देश की बेरोजगारी दर 45 साल में सबसे ज्यादा थी.
लोकसभा चुनाव के दौरान विपक्ष ने रोजगार के मुद्दे पर नरेंद्र मोदी को घेरा था. ऐसे में मोदी सरकार 2.0 के लिए रोजगार के अपने पुराने वादे को पूरा करना और ज्यादा से ज्यादा रोजगार का मौका देना भी एक बड़ा मुद्दा रहेगी.
पिछली मोदी सरकार के दौरान घरेलू सामान से लेकर पेट्रोल और डीजल के दाम के बढ़ने पर लोगों में काफी नाराजगी थी. चुनाव की वजह से सरकार पिछले काफी दिनों से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़त को रोके हुए थी, लेकिन एक बार फिर कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत बढ़ने लगी है. जिसके बाद पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने की आशंका जताई जा रही है. सरकार के ललिए महंगाई पर काबू करना बड़ी चुनौती होगी.
भले ही इस चुनाव में किसानों के मुद्दे ने जगह नहीं बनाई हो लेकिन किसानों की आय दोगुना करने, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के अपने वादे को पूरा करना मोदी सरकार के लिए अहम होगा. हालांकि पिछली मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत गरीब किसानों को छह हजार रुपये सालाना देने की शुरुआत की थी.
मोदी सरकार में सीबीआई समेत कई संस्थानों की विश्वसनीयता और आजादी पर सवाल उठाए जाने लगे हैं. पिछली सरकार में सीबीआई के बड़े अधिकारियों के बीच लड़ाई सरकार के लिए भारी किरकिरी का सबब बनी. इसके बाद चुनाव आयोग के भी कुछ ऐसे फैसले हुए जिससे लगा कि उसकी निष्पक्षता सवालों के घेरे में है. लिहाजा संस्थानों की विश्वसनीयता बहाली सरकार की बड़ी चुनौती होगी.
हथियारों और साजो-सामान के मामले में सेना का आधुनिकीकरण सरकार के लिए बड़ा एजेंडा होगा. भारतीय सेना के पास मॉडर्न टेक्नोलॉजी और मारक क्षमताओं वाले हथियारों की कमी है. लेकिन सेना के साजोसामान की खरीद पर विवाद होता रहा है. सरकार को राफेल जैसे सौदे से परे जाकर सेना के आधुनिकीकरण पर जोर देना होगा.
पीडीपी के साथ बीजेपी के सरकार बनाने के बाद यह उम्मीद जगी थी कि मोदी सरकार में कश्मीर में आतंक पर लगाम लगाने में सहूलियत होगी और कश्मीरी जनता का दिल भी जीता जाएगा. लेकिन आतंक पर काबू पाने के लिए सरकार के तरीकों ने कश्मीरियों को नाराज किया. इस बार वहां सरकार को आतंक के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने के साथ ही हीलिंग टच की नीति पर भी चलना होगा.
पाकिस्तान से बिगड़ चुके रिश्तों को पटरी पर लाना इस बार की सरकार की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक होगी. हाल में दोनों देशों के बीच टकराव जिस मोड़ पर पहुंच गया उसमें रिश्तों को पटरी पर लाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी. इसके लिए भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपना अभियान भी मजबूती से चलाना होगा
गड़चिरौैली और छत्तीसगढ़ में नक्सली हमलों ने साबित कर दिया है कि उन पर काबू पाना आसान नहीं होगा. नक्सली हमलों का रोकना सुरक्षा बलों के लिए बड़ी चुनौती होगी और ऐसे में उसे सरकार का पूरा सहयोग चाहिए होगा. जिन इलाकों में नक्सली सक्रिय हैं वहां सरकार को इस समस्या से निपटने के लिए नई रणनीति अपनानी होगी.
पिछली सरकार में धार्मिक और जातीय तनाव सरकार के लिए बड़ा सिरदर्द बन कर उभरा. देश में दलितों पर कई जगह हमले हुए और धार्मिक अल्पसंख्यकों को गोरक्षा के नाम पर निशाना बनाया गया. लिहाजा सामाजिक सौहार्द कायम करना इस बार सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी.
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