advertisement
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिलिस्तीन पहुंच कर वहां की स्वतंत्रता और संप्रभुता का समर्थन किया है. फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास के सथ संयुक्त बयान में उन्होंने कहा कि भारत फिलिस्तीन की शांति और संप्रभुता के लिए प्रतिबद्ध है. फिलिस्तीन पहुंचने पर प्रधानमंत्री का जबरदस्त स्वागत हुआ.इस्राइल साथ फिलीस्तीन के साथ संबंधों की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि क्षेत्र में हिंसा बंद होनी चाहिए.
मोदी को फिलीस्तीन का सर्वोच्च सम्मान 'ग्रैंड कॉलर' से नवाजा गया. उन्होंने कहा कि यह सवा सौ करोड़ भारतीयों का सम्मान है. यह पूरे भारत के लिए सम्मान का प्रतीक है. इसके लिए मैं सवा अरब भारतीयों की ओर से आपको धन्यवाद देता हूं. उन्होंने कहा कि फिलिस्तीन को हमारा समर्थन हमारी विदेश नीति में सबसे ऊपर रहा है.
फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने कहा कि भारत अब अंतरराष्ट्रीय ताकत है. गुट निरपेक्ष आंदोलन में इसका बड़ा हाथ रहा है. भारतीय नेतृत्व हमेशा फिलिस्तीन में शांति के पक्ष में खड़ा रहा है. उन्होंने कहा कि मोदी की यह यात्रा भारत और फिलिस्तीन के लोगों के बीच आपसी दोस्ती और प्रेम का प्रतीक है.
अपने दौरे के पहले दिन पीएम मोदी जॉर्डन पहुंचे. पिछले 30 सालों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली जॉर्डन यात्रा है. जॉर्डन की राजधानी अम्मान में जब मोदी एयरपोर्ट पर पहुंचे तो गर्मजोशी से उनका स्वागत किया गया. पीएम मोदी इस मौके पर जॉर्डन के किंग के साथ मुलाकात की. साथ ही पीएम ने प्रवासी भारतीयों के साथ सेल्फी भी खिंचवाई.
जॉर्डन के किंग के साथ मुलाकात के बाद मोदी ने ट्वीट किया,
पीएम मोदी अपनी यात्रा के दूसरे दिन शनिवार को फिलिस्तीन पहुंचे . फिलिस्तीन यात्रा से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जॉर्डन के रास्ते फिलिस्तीन जाने में मदद करने पर ट्वीट कर जॉर्डन के शाह का शुक्रिया अदा किया. पीएम मोदी ने कहा, मुझे खुशी है कि जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला द्वितीय ने हमें फिलिस्तीन जाने के लिए सहायता की है.
दरअसल फिलिस्तीन और इजरायल के बीच संघर्ष जारी है. दोनों देशों के संघर्ष के बीच साल 2017 में पीएम मोदी इजरायल की यात्रा पर गए थे, वहीं अभी हाल ही में इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू भी भारत के दौरे हुए थे. पीएम मोदी और नेतन्याहू के बीच की दोस्ती भी खूब चर्चे में रही है. ऐसे में उस वक्त ये माना जा रहा था कि भारत फिलिस्तीन को लेकर अपनी नीति में बदलाव कर रहा है.
लेकिन जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यरूशलम को इजराइल की राजधानी घोषित किया है, तब भारत ने संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के खिलाफ वोटिंग किया था. भारत रिश्तों में संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है. फिलीस्तीन भारत का पुराना दोस्त रहा है. हाल में नेतन्याहू की भारत यात्रा के बाद यह संदेश जा रहा था कि वह इजराइल की ओर झुक रहा है. लिहाजा फिलीस्तीन की यात्रा कर पर पीएम मोदी ने ऐसे किसी भी रुझान को दरकिनार करने की कोशिश की है. यही वजह है कि पीएम मोदी की फिलीस्तीन यात्रा काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है.
बता दें कि भारत पहला गैर-अरब देश है जिसने फिलिस्तीन को मान्यता दी थी. और उनके साथ कूटनीतिक संबंध बनाए थे. साल 2015 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी फिलिस्तीन गए थे
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)