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पीएम नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ में क्या-क्या कहा, यहां- पढ़ें
पीएम मोदी ने पटेल को किया याद
क्विंट हिंदी
भारत
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम की फाइल फोटो
(फोटोः Narendramodi.in)
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के लोगों से मन की बात की. पीएम ने अपने कार्यक्रम में सरदार बल्लभभाई पटेल की जयंती का जिक्र करते हुए कहा कि इस बार पटेल की जयंती बेहद खास है. 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की प्रतिमा ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ का उद्घाटन होगा. इसके अलावा पीएम ने आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों को हल करने के लिए 'एकजुट' होकर काम करने अपील की.
सरदार पटेल को याद करते हुए पीएम ने कहा-
देश को एकता के सूत्र में पिरोने और घावों को भरने की क्षमता अगर किसी में है तो वो हैं सरदार वल्लभभाई पटेल.‘Time Magazine’ की स्टोरी लौह पुरुष के जीवन के दूसरे पहलुओं को भी उजागर करती है. कैसे उन्होंने 1920 के दशक में अहमदाबाद में आई बाढ़ को लेकर राहत कार्यों का प्रबंधन किया. कैसे उन्होंने बारडोली सत्याग्रह को दिशा दी. देश के लिए उनकी ईमानदारी और प्रतिबद्धता ऐसी थी कि किसान, मजदूर से लेकर उद्योगपति तक, सब उन पर भरोसा करते थे. गांधी जी ने सरदार पटेल से कहा था कि राज्यों की समस्याएं इतनी विकट हैं कि केवल आप ही इनका हल निकाल सकते हैं और सरदार पटेल ने एक-एक कर समाधान निकाला और देश को एकता के सूत्र में पिरोने के असंभव कार्य को पूरा कर दिखाया. उन्होंने सभी रियासतों का भारत में विलय कराया.
Infantry Day का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा-
कल ही हम देशवासियों ने ‘Infantry Day’ मनाया है, मैं उन सभी को नमन करता हूं, जो भारतीय सेना का हिस्सा हैं. मैं अपने सैनिकों के परिवार को भी उनके साहस के लिए सलाम करता हूं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हम सब हिंदुस्तान के नागरिक ये ‘Infantry Day’ क्यों मानते हैं? यह वही दिन है, जब भारतीय सेना के जवान कश्मीर की धरती पर उतरे थे और घुसपैठियों से घाटी की रक्षा की थी.
पीएम ने कुछ खिलड़ियों से हुई अपनी मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा-
हाल ही में मुझे जकार्ता में हुए एशियन पैरा गेम्स 2018 के पैरा एथलीट से मिलने का मौका मिला. इन खेलों में भारत ने कुल 72 पदक जीतकर नया रिकॉर्ड बनाया और भारत का गौरव बढ़ाया. इन सभी प्रतिभावान खिलाड़ियों से मुझे निजी तौर पर मिलने का सौभाग्य मिला और मैंने उन्हें बधाई दी.
पंजाब के एक किसान का सुनाया किस्सा-
कुछ दिन पहले मैं पंजाब के किसान भाई गुरबचन सिंह जी के बारे में पढ़ रहा था. एक सामान्य और परिश्रमी किसान गुरबचन सिंह जी के बेटे का विवाह था. इस विवाह से पहले गुरबचन जी ने दुल्हन के माता-पिता से कहा था कि हम शादी सादगी से करेंगे. बारात हों और चीजें हों, खर्चा कोई ज्यादा करने की जरूरत नहीं है. हमें इसे एक बहुत सादा अवसर ही रखना है, फिर अचानक उन्होंने कहा लेकिन मेरी एक शर्त है कि अब आप खेत में पराली नहीं जलाएंगे. आप कल्पना कर सकते हैं कितनी बड़ी सामाजिक ताकत है इसमें.