advertisement
पुणे के MIT कॉलेज में 6 मार्च को आयोजित हुए एक कार्यक्रम में शामिल होने वाले लोगों को काले रंग के कपड़े निकालने के लिए कहा गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कार्यक्रम में कई डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन किया. न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, कॉलेज के बाहर सिक्योरिटी गार्ड्स ने लोगों मास्क, जुराबें और यहां तक कि कमीजें भी उतारने को कहा, अगर वो काले रंग की थीं.
ये प्रधानमंत्री के खिलाफ के खिलाफ किसी भी तरह के विरोध को रोकने के लिए किया गया था.
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इन कार्यक्रमों में काले कपड़े या मास्क नहीं पहनने को लेकर किसी भी अथॉरिटी द्वारा पहले से कोई निर्देश जारी नहीं किया गया था. पुणे ग्रामीण के एसपी अभिनव देशमुख ने कहा, “हम काले झंडे की अनुमति नहीं दे रहे थे, लेकिन ये संभव है कि कुछ ऑन-ड्यूटी पुलिस ने लोगों से उनके काले कपड़ों के बारे में पूछा हो. हम इसकी जांच करेंगे."
कार्यक्रम को कवर करने वाले जर्नलिस्ट मंगेश फले ने बताया कि वेन्यू पर मौजूद सिक्योरिटी गार्ड्स ने उन्हें अपना मास्क हटाने के लिए कहा था, क्योंकि ये काले रंग का था.
6 मार्च को पुणे की अपनी एक दिन की यात्रा के दौरान, पीएम मोदी ने कई डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन किया, जिसमें मेट्रो रेल का विस्तार, कार्टूनिस्ट आरके लक्ष्मण को समर्पित एक गैलरी और सिम्बायसिस यूनिवर्सिटी के स्वर्ण जयंती समारोह शामिल हैं.
वेन्यू पर पहुंचने से पहले कांग्रेस और NCP के कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर पीएम मोदी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था. प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने ये इशारा कर के महाराष्ट्र का “अपमान” किया है कि इसकी वजह से दूसरे राज्यों में कोविड फैला है.
7 फरवरी को, लोकसभा को संबोधित करते हुए, पीएम मोदी ने कहा था, "कोविड की पहली लहर के दौरान, आपने (कांग्रेस) प्रवासी मजदूरों को मुंबई छोड़ने के लिए मुफ्त ट्रेन टिकट दिया. वहीं, दिल्ली सरकार ने प्रवासी कामगारों को शहर छोड़कर जाने के लिए कहा और उन्हें बसें मुहैया कराईं. नतीजतन, पंजाब, यूपी और उत्तराखंड में कोविड तेजी से फैला था."
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)