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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) डेनमार्क, जर्मनी और फ्रांस की अपनी तीन दिवसीय यात्रा पर जाने वाले हैं. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वह ऐसे समय में यूरोप की यात्रा कर रहे हैं, जब यह क्षेत्र कई चुनौतियों का सामना कर रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को इस साल अपनी पहली विदेश यात्रा में जर्मनी जाने से पहले एक डिपार्चर स्टेटमेंट जारी किया है. उन्होंने कहा कि उनकी यूरोप यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब यह क्षेत्र चुनौतियों और विकल्पों का सामना कर रहा है.
अपनी यूरोप यात्रा के दौरान नरेंद्र मोदी, जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज, डेनमार्क के प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसेन और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात करेंगे, जिन्हें हाल ही में दूसरे कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति के रूप में फिर से चुना गया है.
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति मैक्रों को हाल ही में फिर से चुना गया है और परिणाम के दस दिन बाद मेरी यात्रा, मुझे न केवल व्यक्तिगत रूप से बधाई देने की अनुमति देगी, बल्कि दोनों देशों के बीच घनिष्ठ मित्रता की भी पुष्टि करेगी. इस दौरान हमें भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी के अगले चरण के लिए टोन सेट करने का मौका मिलेगा.
उन्होंने आगे कहा कि इस आईजीसी को जर्मनी में नई सरकार के गठन के छह महीने के भीतर एक शुरूआती जुड़ाव के रूप में देखता हूं, जो मध्यम और लंबी अवधि के लिए हमारी प्राथमिकताओं की पहचान करने में मददगार होगा.
उन्होंने कहा कि बर्लिन से वह कोपेनहेगन जाएंगे, जहां उनकी प्रधानमंत्री फ्रेडरिकसेन के साथ द्विपक्षीय बैठक होगी जो डेनमार्क के साथ हमारी अनूठी 'हरित सामरिक साझेदारी' में प्रगति की समीक्षा करने के साथ-साथ हमारे द्विपक्षीय पहलुओं की समीक्षा करने का अवसर प्रदान करेगी.
राष्ट्रपति मैक्रों के साथ प्रस्तावित बैठक का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि वह विभिन्न क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर आकलन साझा करेंगे और मौजूदा द्विपक्षीय सहयोग का जायजा लेंगे. उन्होंने कहा कि मेरा ढृढ़ विश्वास है कि वैश्विक व्यवस्था के लिए समान दृष्टिकोण और मूल्यों को साझा करने वाले दो देशों को एक-दूसरे के साथ घनिष्ठ सहयोग में काम करना चाहिए.
4 मई को अपनी वापसी यात्रा पर, पीएम मोदी कुछ समय के लिए पेरिस में रुकेंगे और फ्रांस के राष्ट्रपति इमेनुएल मैक्रों से मुलाकात करेंगे. विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि भारत और फ्रांस इस साल अपने राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं और दोनों नेताओं के बीच मीटिंग रणनीतिक साझेदारी का एक अधिक महत्वाकांक्षी एजेंडा तय करेगी.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह सम्मेलन महामारी के बाद आर्थिक सुधार, जलवायु परिवर्तन, नवाचार और प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा, विकसित वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य और आर्कटिक क्षेत्र में भारत-नॉर्डिक सहयोग जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित होगा. पहला भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन 2018 के दौरान स्टॉकहोम में हुआ था.
विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने बताया कि प्रधानमंत्री जर्मनी के दौरे के पहले चरण को समाप्त करने के बाद 3 मई को अपने डेनमार्क समकक्ष मेटे फ्रेडरिकसेन के निमंत्रण पर आधिकारिक यात्रा पर कोपेनहेगन की यात्रा करेंगे.
आईएएनएस की रिपोर्ट के अनुसार एक अधिकारी ने कहा कि नरेंद्र मोदी की डेनमार्क यात्रा कौशल विकास, नौवहन, कृषि प्रौद्योगिकी और गतिशीलता के क्षेत्र में साझेदारी के नए घटकों को आकार देने का अवसर प्रदान करेगी.
(इनपुट-आईएएनएस)
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