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PM-UDAY स्कीम के लगभग 3 साल पूरे, 2% लोगों को भी नहीं मिला उनका हक

PM UDAY Scheme में जुलाई 2022 तक अनुमानित 8 लाख में से केवल 1.75% संपत्तियों को मालिकाना हक मिला- RTI

धनंजय कुमार
भारत
Updated:
<div class="paragraphs"><p>PM-UDAY Scheme</p></div>
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PM-UDAY Scheme

क्विंट हिंदी

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"मुझे संतोष है कि दिल्ली के 40 लाख से ज्यादा लोगों के जीवन में नया सवेरा लाने का एक उत्तम अवसर मुझे मिला है, प्रधानमंत्री उदय योजना के माध्यम से आपको अपने घर अपनी जमीन, अपने जीवन की सबसे बड़ी पूंजी पर संपूर्ण अधिकार मिला."

22 दिसंबर 2019 को दिल्ली के रामलीला मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ये शब्द दिल्ली की अनाधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले 40 लाख से ज्यादा लोगों के लिए न सिर्फ एक उम्मीद थी बल्कि जरूरत भी. दिसंबर 2022 में PM-UDAY (प्रधानमंत्री-अनधिकृत कॉलोनी दिल्ली आवास अधिकार योजना) योजना को लागू हुए लगभग 3 साल पूरे होने वाले हैं.

क्विंट को RTI के जवाब में मिली जानकारी के आधार पर आपको बताते हैं कि आज इस योजना की क्या स्थिती है और कितने लोगों को इसका लाभ मिला.

योजना से अब तक सिर्फ 1.7% लोगों को लाभ

इस योजना के अंतर्गत दिल्ली में लगभग 8 लाख संंपत्तियों को मालिकाना हक देने का लक्ष्य था जिससे लगभग 40 लाख लोगों को इसका लाभ मिलता, लेकिन जो आंकड़े मिले उसके आधार पर जुलाई 2022 तक लगभग 14 हजार संपत्तियों को सरकार ने मालिकाना हक दिया है. ये संख्या अनुमानित 8 लाख संपत्तियों का सिर्फ 1.75% है, यानि 3 साल में 2% से भी कम लोगों को PM-UDAY योजना का लाभ मिला.

ज्यादातर आवेदन अभी भी प्रक्रिया में

इसमें आंकड़ों को थोड़ा और गहराई से देखें तो लगभग 4.6 लाख लोगों ने इस योजना में लाभ पाने के लिए DDA के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाया, लेकिन इसमें 1 लाख 4 हजार लोगों ने ही सभी दस्तावेज जमा कर अपने आवेदन की प्रक्रिया सफलतापूर्व पूरी की. इसमें से सरकार ने लगभग 26 हजार आवेदनों को खारिज कर दिया, 14 हजार को उनका हक मिला और 64 हजार अभी भी प्रक्रिया में हैं.

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GIS एजेंसियों से सरकार को 3.5 लाख रुपये की कमाई

जो लोग DDA के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराते हैं, GIS एजेंसियां उनके घरों का सर्वे करती हैं. सर्वे के लिए लोगों को गज के हिसाब से भुगतान करना पड़ता है. इस काम में 12 प्राइवेट GIS एजेंसी लगी हैं. सरकार को GIS एजेंसियों के सर्वे से करीब 3.5 लाख रूपये (3,46,755 रुपये) की कमाई हुई है.

कहां रह गई कमी?

दिल्ली के जाफरपुर कलां में रहने वाले शिबु मजूमदार ने भी इस योजना के तहत आवेदन किया था. उन्होंने क्विंट से बातचीत में कहा कि

"योजना के तहत मैंने DDA के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाया था. मैंने अपने घर का सर्वे भी करवाया जिसके लिए 900 रुपये का भुगतान किया, लेकिन इसके बाद मैंने देखा कि मेरे साथ जिन लोगों ने आवेदन किए थे उन सबके आवेदन खारिज हो गए, उन्होंने अपने दस्तावेज भी अपलोड कर दिए थे, लेकिन उन्हें इसका कोई लाभ नहीं मिला, यहां कई लोगों के साथ ऐसा ही हुआ. ये देखकर मैंने अपने दस्तावेज अपलोड ही नहीं किए, क्योंकि इसके लिए फिर पैसे देने पड़ते और लोगों के आवेदन खारिज हो रहे हैं."

क्यों हो रहे हैं आवेदन खारिज? 

जितने लोगों ने प्रक्रिया पूरी की उसमें से लगभग एक चौथाई लोगों के आवेदन खारिज हो गए. इसका एक बड़ा कारण वसीयत दस्तावेज (Will) था, जिसे अपलोड करना अनिवार्य था, लेकिन सरकार ने भी महसूस किया कि ये कागज ज्यादातर लोगों के पास उपलब्ध नहीं है, जिसके चलते लोगों के आवेदन खारिज हो रहे हैं. इसे देखते हुए DDA ने इसी साल जुलाई में वसीयत की अनिवार्यता खत्म कर दी.

हालांकि, ये सिर्फ एक कारण है. दूसरा कारण सरकार का ढीला-ढाला रवैया भी है. जितने आवेदन अब तक आए, उसमें से 60% अभी प्रक्रिया में ही हैं. न तो उन्हें स्वीकार किया गया न ही खारिज. ऐसे में संबंधित अधिकारियों को अपनी गति बढ़ाने की जरूरत है.

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Published: 30 Sep 2022,09:11 PM IST

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