Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019PMO की मॉनिटरिंग को नहीं कहा जा सकता दखल: राफेल डील पर केंद्र

PMO की मॉनिटरिंग को नहीं कहा जा सकता दखल: राफेल डील पर केंद्र

राफेल मामले में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा 

क्विंट हिंदी
भारत
Updated:
(फोटो ग्राफिक्स: क्विंट हिंदी)
i
null
(फोटो ग्राफिक्स: क्विंट हिंदी)

advertisement

केंद्र सरकार ने राफेल डील में प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की समानांतर सौदेबाजी के आरोपों को खारिज किया है. दरअसल सरकार ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया. इस हलफनामे में उसने कहा कि राफेल डील की सौदेबाजी प्रक्रिया में PMO की निगरानी को समानांतर सौदेबाजी नहीं ठहराया जा सकता.

बता दें कि रक्षा मंत्रालय से लीक हुए दस्तावेजों के आधार पर PMO पर राफेल डील में समानांतर सौदेबाजी के आरोप लगे थे.

अंग्रेजी अखबार द हिंदू ने इस मामले पर एक रिपोर्ट छापी थी. उस रिपोर्ट के मुताबिक, ''राफेल डील पर फ्रांस सरकार के साथ PMO की समानांतर सौदेबाजी का रक्षा मंत्रालय ने कड़ा विरोध किया था. रक्षा मंत्रालय का 24 नवंबर, 2015 एक नोट तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के संज्ञान में लाया गया था. इस नोट में साफ कहा गया था कि PMO के समानांतर दखल से रक्षा मंत्रालय और समझौता करने वाली टीम की सौदेबाजी की स्थिति कमजोर हो गई थी.’’

अब केंद्र सरकार का हलफनामा पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वकील प्रशांत भूषण की पुनर्विचार याचिका के जवाब आया है. इस याचिका में राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट के 14 दिसंबर 2018 के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की गई है. उस फैसले में कोर्ट ने राफेल डील में कथित अनियमितताओं की जांच करने की मांग वाली याचिकाएं खारिज कर दी थीं.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

अपने हलफनामे में केंद्र ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट (अपने पिछले फैसले में) राफेल डील के सभी तीन पहलुओं (निर्णय की प्रक्रिया, कीमत और भारतीय ऑफसेट पार्टनर के चयन) पर इस निष्कर्ष पर पहुंचा था कि उसके हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है.

SC के पिछले फैसले में कोई स्पष्ट कमी नहीं: केंद्र

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि राफेल मामले में उसके 14 दिसंबर के फैसले में दर्ज निष्कर्षों में कोई स्पष्ट कमी नहीं है, जिससे उस पर पुनर्विचार की जरूरत हो. केंद्र ने कहा कि मीडिया में आई कुछ खबरों और ‘अवैध तरीके से हासिल कुछ अधूरी फाइल नोटिंग्स’ पर भरोसा कर पूरे मामले को दोबारा नहीं खोला जा सकता क्योंकि पुनर्विचार याचिका का दायरा 'बेहद सीमित' है.

सप्रीम कोर्ट में राफेल मामले पर दो और पुनर्विचार याचिकाएं दायर हुई हैं. इन याचिकाओं को आम आदमी पार्टी नेता संजय सिंह और वकील विनीत ढांडा ने दायर किया है. सभी पुनर्विचार याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई अगले हफ्ते सुनवाई करेंगे.

ये भी देखें: CAG रिपोर्ट से राफेल पर खत्म नहीं हुई है रार, ये हैं 5 बड़ी वजहें

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 05 May 2019,08:27 AM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT