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मेहुल चोकसी को एंटीगा की नागरिकता और पंजाब नेशनल बैंक घोटाले से पहले प्रधानमंत्री दफ्तर (पीएमओ) को उसकी कारगुजारियों का पता चल गया था. क्विंट ने पीएमओ की वो चिट्ठी देखी है जो चिट्ठी जांच एजेंसियों और मंत्रालयों में भेजी गई थी.
पीएमओ की इस चिट्ठी से लगता है कि भगोड़े ज्वेलर मेहुल चोकसी के घोटालों की शिकायतें 31 जनवरी 2018 के पहले ही पीएमओ तक पहुंच रही थीं. जनवरी के आखिर में ही पीएनबी घोटाले का राज खुला था, चोकसी और उसका भतीजा नीरव मोदी इसमें आरोपी हैं.
पीएमओ ने 3 अगस्त 2018 को विदेश सचिव की चिट्ठी के जवाब में गृहमंत्रालय, राजस्व सचिव, सीबीआई, एंफोर्समेंट डायरेक्टरेट और एसएफआईओ को खत लिखाकर चोकसी के घोटालों के पक्का दस्तावेज बनाने को कहा जिससे एंटीगा सरकार मेहुल चोकसी का पासपोर्ट रद्द करने को मजबूर हो जाए.
पीएमओ ने एक चिट्ठी के जवाब में माना है कि पब्लिक से चोकसी और उसकी कंपनियों के खिलाफ आर्थिक गड़बड़ियों कई शिकायतें मिली थीं जिन्हें कार्रवाई के लिए उसी समय संबंधित मंत्रालयों और जांच एंजेसियों के पास भेज दिया गया था.
टाइम्स नाऊ ने विदेश सचिव को लिखे गए पीएमओ के जवाब का हवाला दिया है. इसके मुताबिक, पीएमओ से 3 अगस्त को विदेश सचिव विजय गोखले को चिट्ठी लिखी गई. जिसमें ये माना गया है कि मेहुल चोकसी के खिलाफ पब्लिक से बहुत शिकायतें मिलीं थीं.
विदेश सचिव ने 31 जुलाई 2018 को पीएमओ को बताया था कि एंटीगा और बरबूडा सरकार ने चोकसी को भारत को सौंपने से इनकार कर दिया है.
विदेश सचिव के लेटर में ये भी बताया गया है कि मेहुल चोकसी सिर्फ एक स्थिति में एंटीगा की नागरिकता खो सकता है.
अगर मेहुल चोकसी की नागरिकता रद्द हो जाए तो फिर उसे भारत लाने के लिए प्रत्यर्पण प्रक्रिया से गुजरने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
लेकिन एंटीगा और बरबूडा सरकार के रुख को देखते हुए मेहुल चोकसी को भारत लाने के लिए भारत को उसके खिलाफ बेहद मजबूत केस तैयार करना होगा. तभी ये बात साबित की जा सकती है कि चोकसी ने झूठा बोला और जानकारी छिपाई.
अगर केस मजबूत नहीं हुआ तो चोकसी को पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के लिए भारत ला पाना बहुत मुश्किल होगा.
(इनपुटः क्विंट और टाइम्स नाऊ)
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