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79 वर्षीय तेलुगु कवि और पत्रकार वरवर राव को मुंबई में सरकारी JJ अस्पताल में ले जाया गया है. वरवर राव एल्गार परिषद मामले में जेल में हैं. राव को 13 जुलाई की रात चक्कर आने की शिकायत के बाद अस्पताल लाया गया है. वो 2018 से जेल में हैं.इससे पहले वरवर राव ने बॉम्बे हाई कोर्ट में अपील की थी. ये अपील मुंबई के स्पेशल NIA कोर्ट के मेडिकल आधार पर उनकी अंतरिम जमानत याचिका रद्द करने के खिलाफ है.
JJ अस्पताल के डीन डॉ रंजीत मंकेश्वर ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वो वरवर राव के कुछ टेस्ट कर रहे हैं.
12 जुलाई को राव के परिवार ने एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस की और उनकी मौत की अफवाहों को खारिज किया. परिवार ने बताया कि वरवरा राव जिंदा हैं और ‘लड़’ रहे हैं. हालांकि परिवार ने कहा कि वो उनकी बिगड़ती तबीयत की वजह से चिंता में है.
उनकी बेटी पी पवन ने कहा, "काफी समय से वो बीमार चल रहे हैं, हालांकि हाल ही में टेलीफोन पर हुई बातचीत से समझ आया कि उनका स्वास्थ्य अस्थिर है."
राव के परिवार के मुताबिक, 11 जुलाई को फोन पर हुई बातचीत के दौरान वो बेसुध से लगे. उनकी बेटी ने बताया, "वो अपने माता-पिता के अंतिम संस्कार के बारे में हैल्युसिनेटेड बात करने लगे, जो चीजें चार और सात दशक पहले हुई हैं."
वरवरा राव के परिवार की तरफ से जारी की गई प्रेस रिलीज में कहा गया कि उनकी पत्नी और बेटियों को राव के साथ के एक आरोपी ने बताया कि राव को चलने के लिए और ब्रश करने में मदद की जरूरत होती है.
जेल अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए वरवरा राव के परिवार ने मांग की थी कि सरकार उन्हें किसी बेहतर अस्पताल में शिफ्ट करे या अच्छी मेडिकल सुविधा दे.
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