advertisement
साल की पहली छमाही बीतने को है. ज्यादातर संस्थानों में अप्रेजल हो चुके हैं. प्रमोशन और वेतनवृद्धि को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है. दफ्तरों में कहीं खुशी है तो कहीं गम. खुशी और गम की इसी कशमकश के बीच कर्मचारियों का एक तबका ऐसा है, जो नई कंपनी ज्वाइन करने की योजना बना रहा है. बड़ा ब्रांड, ऊंचा पद और ज्यादा वेतन की चाह उन्हें बदलाव के लिए प्रेरित कर रही है. अगर आप भी उन लोगों में से हैं तो नौकरी बदलने से पहले कुछ जरूरी बातों पर ध्यान जरूर दें. क्या हैं वे बातें, जानते हैं.
जब भी नौकरी बदलने का विचार मन में आए तो सबसे पहले तीन बिंदुओं पर नजर दौड़ाएं. पहला, कंपनी यानी जिस कंपनी में जाना चाहते हैं उस कंपनी का ब्रांड, आकार और प्रबंधन का तरीका क्या है.
दूसरा, जॉब डिस्क्रिप्शन यानी वहां आपको किस तरह का काम करना होगा, आपका रोल क्या होगा, कंपनी आपसे क्या अपेक्षा रखेगी और आप उस पर कितना खरा उतर पाएंगे.
तीसरा, कंपनसेशन यानी उस नई नौकरी में आपको कितने पैसे मिलेंगे. नौकरी बदलने का फैसला लेते समय इन तीनों बिंदुओं पर गंभीरता से विचार करें. तीनों में से सबसे ज्यादा किस पर ध्यान देना चाहिए, यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है. लेकिन सिर्फ पैसे को ही नौकरी बदलने की वजह नहीं बनाना चाहिए.
विचार करें कि नई कंपनी में कौन सी ऐसी चीजें हैं, जो आपकी तरक्की में मददगार हो सकती हैं. क्या आपको वहां बड़ी टीम के साथ काम करने का मौका और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिल रही है, वहां काम करके आपका नेटवर्क और आपकी तकनीकी कुशलता बढ़ेगी. भविष्य में नए लोगों से मिलने और विदेश जाने के मौके मिलेंगे? अगर इन सब सवालों के जवाब हां हैं तो नौकरी बदलने के बारे में सोचा जा सकता है.
करियर यात्रा हमेशा नीचे से ऊपर की ओर चलती है. इसलिए हमेशा बड़े ब्रांड में जाने की कोशिश करें. वहां आपको ज्यादा चीजें सीखने और समझने को मिलेंगी. माहौल पेशेवर होगा. आगे बढ़ने के मौके और नए ऑप्शंस भी ज्यादा मिलेंगे.
अगर किसी वजह से छोटे ब्रांड में जा ही रहे हैं तो वहां के माहौल और काम के तरीकों के बारे में जरूर मालूम कर लें.
इसलिए संस्थान बदलते समय वहां के कर्मचारियों के नौकरी छोड़ने की वजह और नौकरी छोड़ने की दर भी पता लगाएं. बाकी बातें अपने आप स्पष्ट हो जाएंगी.
नौकरी बदलते समय वेतन के मसले पर कंपनी से खुल कर बात करें. यही वह वक्त है जब आप वेतन को लेकर अपनी बात रख सकते हैं.
कुछ कंपनियां सीटीसी में तो अच्छी वृद्धि दिखाती हैं लेकिन महीने के अंत में कर्मचारी के हाथ में कम ही पैसे आते हैं.
ये कंपनियां बाकी राशि बिजनेस टारगेट हासिल होने पर साल के अंत में देने की बात कहती हैं. टारगेट हासिल न होने की स्थिति में ये राशि हाथ से निकल जाती है. इसलिए सीटीसी का स्ट्रकचर इस तरह बनवाने की कोशिश करें कि ज्यादा से ज्यादा राशि महीने के अंत में आपके हाथ में आए.
नई कंपनी में कर्मचारियों के लिए क्या नीतियां हैं, इन पर भी ध्यान दें. वर्तमान कंपनी में आपको जितने अवकाश मिलते हैं, क्या नई कंपनी में भी उतने अवकाश की परंपरा है या नहीं. साप्ताहिक अवकाश का दिन तय है या कंपनी अपनी सुविधा से सप्ताह में कभी भी अवकाश देती है. मेडिक्लेम पॉलिसी, पार्किंग, देर रात या अल सुबह की शिफ्ट में कैब की सुविधा है, या नहीं. इन सब पर भी ध्यान दें.
कुछ कर्मचारी बॉस के व्यवहार और काम लेने के ढंग से परेशान होकर नौकरी बदलने का मन बना लेते हैं. अगर आप भी इसी वजह से नौकरी बदलने की सोच रहे हैं तो जरा ठहरिए. सोचिए, क्या बॉस सिर्फ आपके साथ ही अजीब व्यवहार करते हैं या सभी के साथ उनका व्यवहार ऐसा ही है. अगर सबके साथ उनके बात कहने और काम लेने का ढंग एक सा है तो यह उनके स्वभाव का हिस्सा हो सकता है. आप उनसे बदलाव की उम्मीद नहीं कर सकते.
सिर्फ आपके साथ ही उनका व्यवहार अजीब है तो उसके कारणों को पहचानिए. हो सकता है आपके व्यवहार में भी कुछ दिक्कतें हों. अगर इन दिक्कतों को आप नहीं पहचानेंगे और उन्हें दूर करने की कोशिश नहीं करेंगे तो नई नौकरी में भी आपको समस्या का सामना करना पड़ेगा. यह बात भी अच्छी तरह समझ लीजिए कि बॉस हर संस्थान में कमोवेश एक से ही होते हैं.
(करियर काउंसलर डॉ. सुशील कुमार से बातचीत पर आधारित)
(इस एडमिशन सीजन में द क्विंट ने कॉलेजों से जुड़े आपके सवालों के जवाब देने के लिए CollegeDekho.com के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया है. अपने सवाल eduqueries@thequint.com पर भेजें.)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)