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JNU छात्रों पर लाठी चार्ज,छात्रसंघ महासचिव को लात मारती दिखी पुलिस

हॉस्टल की बढ़ी हुई फीस और नए मैनुअल के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए JNU छात्रों को 46 दिन हो गए

क्विंट हिंदी
भारत
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हॉस्टल की बढ़ी हुई फीस और नए मैनुअल के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए JNU छात्रों को 46 दिन हो गए 
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हॉस्टल की बढ़ी हुई फीस और नए मैनुअल के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए JNU छात्रों को 46 दिन हो गए 
(फोटो: द क्विंट)

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फीस बढ़ोतरी को लेकर प्रदर्शन कर रहे JNU छात्रों पर सोमवार को लाठी चार्ज हुआ. छात्रों को पीटते हुए पुलिसकर्मियों की कुछ तस्वीरें भी सामने आई. जेएनयू स्टूडेंट्स यूनियन (JNUSU) बीते एक महीने से हॉस्टल फीस में 400 फीसदी बढ़ोतरी को लेकर प्रदर्शन कर रहा है. छात्रों ने 9 दिसंबर को राष्ट्रपति भवन तक मार्च निकालने की तैयारी की थी. इस बीच मार्च के बीच ही पुलिस और छात्रों की झड़प हुई. पुलिस ने लाठियां भांजी, जेएनयू छात्रसंघ के महासचिव को सड़क पर घसीटते ले जाने का वीडियो भी सामने आया है.

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क्विंट हिंदी से बातचीत में जेएनयू छात्रसंघ महासचिव सतीश चंद्र यादव ने कहा,

शांतिपूर्ण प्रदर्शन के बावजूद पुलिस ने बर्बरता दिखाई, कई लोगों को चोट आई है, मुझे भी काफी दूर तक पुलिसवाले घसीटते ले गए. हम लोग तो बस अपनी मांग रखने के लिए शांतिपूर्ण मार्च कर रहे थे. क्या अब इस देश में छात्र प्रदर्शन भी नहीं कर सकते.

बता दें कि छात्रों के मार्च की वजह से सोमवार को दिल्ली में बाबा गंगनाथ मार्ग से सरोजिनी नगर डिपो, अफ्रीका एवेन्यू मार्ग, संत नगर डिपो और हयात से लीला होटल तक जाने वाले सभी रास्तों पर यातायात प्रभावित रहा.

इस बीच जेएनयू प्रशासन ने कहा है कि सेमेस्टर एग्जाम का बहिष्कार करना हजारों छात्रों के भविष्य के लिए अच्छा नहीं है. प्रशासन ने एक बार फिर आंदोलनकारी छात्रों से अपील की है कि वो अपना आंदोलन बंद करें और कैंपस में वापस लौट आए.

"हमें घसीटा गया, घूंसा मारा"

खबरों के मुताबिक, जेएनयू स्टूडेंट्स यूनियन की अध्यक्ष आइशी घोष को पुलिस जिप्सी की तरफ धक्का देने के बाद पुलिस लाठियां भांजने पर उतर आई. आरोप है कि जब आइशी छात्रों को संबोधित कर रही थीं, तभी उन्हें धक्का दिया गया, जिसे लेकर छात्रों की पुलिस से हाथापाई हुई. मीडिया को भी छात्रों के वीडियो लेने से रोका गया. पुलिस की कार्रवाई और चेतावनी के बाद भीड़ तितर-बितर हो गई.

आइशी घोष ने कहा, "छात्रों को पहले ही हिरासत में लिया गया है, हमें पहले ही हिरासत में लिया गया, लेकिन ये अवैध है. प्रदर्शनकारी छात्रों को पीसीआर वैन में डाले जाने से पहले हमें घसीटा गया, घूंसा मारा गया और लाठियां बरसाई गईं."

अपनी चोट दिखाते छात्र(फोटो: द क्विंट)

JNUSU का दावा है कि महिला छात्रों को घसीटा गया और पीटा गया. एक छात्रा गंभीर रूप से घायल हो गई.

46 दिन से कर रहे हैं प्रदर्शन

हॉस्टल की बढ़ी हुई फीस और नए मैनुअल के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए JNU छात्रों को 46 दिन हो गए. 9 दिसंबर को छात्रों ने अपनी मांगों की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए राष्ट्रपति भवन तक मार्च निकालने का फैसला लिया.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, दक्षिणी दिल्ली के भीकाजी कामा प्लेस इलाके में छात्रों को रोकने के लिए बैरिकेड्स लगा दिए. छात्र इन बैरिकेड्स को तोड़कर आगे निकल गए.

आखिर क्यों छात्रों का प्रदर्शन अभी तक जारी?

पिछले महीने JNU छात्रों ने फीस बढ़ोतरी के खिलाफ एचआरडी मिनिस्ट्री तक मार्च निकाला था. तब भी छात्रों पर लाठी चार्ज किया गया था. दबाव बढ़ने के बाद सरकार ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया. अब छात्रों का कहना है कि इस कमेठी को बने दो हफ्ते से ज्यादा बीच चुके हैं, लेकिन अभी तक रिपोर्ट सब्मिट नहीं की गई है. इसी वजह से जेएनयू छात्रों को एक बार फिर सड़क पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ा.

क्या है छात्रों की मांग?

जेएनयू में प्रदर्शन कर रहे छात्रों की कई मांगें हैं. छात्रों की मुख्य मांगों में से एक फीस में बढ़ोतरी है. उनका कहना है कि फीस नहीं बढ़नी चाहिए. इसके अलावा सर्विस चार्ज, ड्रेस कोड, कर्फ्यू टाइमिंग और हॉस्टल संबंधी समस्याओं को लेकर छात्र प्रदर्शन करने उतरे हैं. छात्रों का आरोप है कि जेएनयू प्रशासन छात्रों के हितों के खिलाफ फैसले ले रहा है.

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Published: 09 Dec 2019,10:09 PM IST

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