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लखनऊ:पुलिस ने रोकी हिंदू-मुस्लिम की शादी, परिवार बोले-शादी तो होगी

हिंदू महासभा की शिकायत पर पुलिस ने रोकी थी शादी, दोनों परिवारों को थाने में बुलाया गया था

असद रिज़वी
भारत
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उत्तर प्रदेश पुलिस ने लखनऊ में एक अंतर्धार्मिक शादी रुकवा दी थी. आधार बनाया गया कथित लव जिहाद को लेकर यूपी में बने नए कानून को. ताज्जुब की बात ये है कि इस शादी में न तो लड़की का धर्म परिवर्तन कराया गया और न ही लड़के का. वर-वधु के परिवार भी इस शादी को लेकर सहमत हैं. अब जब शादी रुकवा दी गई है, दोनों परिवारों का कहना है कि वो दोनों की शादी जरूर करवाएंगे. क्विंट ने लड़के और लड़की के घरवालों से मिलकर पूरे मामले की तह तक पहुंचने की कोशिश की.

राजधानी लखनऊ की सरहद पर बसे पारा इलाके में मुस्लिम युवक राहिल (बदला हुआ नाम) का विवाह हिन्दू युवती प्रिया (बदला हुआ नाम) के साथ 2 दिसंबर को होना था. तय कार्यक्रम के अनुसार पहले हिन्दू रीति और फिर मुस्लिम तरीके से विवाह होना था.

इस शादी को पुलिस ने ‘विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020’ के तहत रोका था. पुलिस के मुताबिक अंतर्धार्मिक शादी के लिए पहले जिलाधिकारी से अनुमति लेनी होती है. वहीं घरवालों का कहना है कि उन्हें ऐसे किसी भी कानून की जानकारी नहीं थी.

शादी रोकने पहुंची पुलिस

लेकिन सारा माहौल उस वक्त खराब हो गया, जब विवाह समारोह में पुलिस आ गई. पुलिस ने शादी रोकने को कहा और लड़के-लड़की के घर वालों को थाने पर तलब किया. थाने पर पहुंचने पर पुलिस ने घर वालों को ‘विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020’ को विवाह कार्यक्रम को रद्द करने की वजह बताई गई.

परिवार को अध्यादेश के बारे में नहीं पता था

जब दोनों परिवार वालों ने कहा कि उनको ऐसे किसी अध्यादेश के बारे में नहीं मालूम है, तो पुलिस ने उनको नये कानून की एक-एक कॉपी दी और कहा कि अंतर्धार्मिक विवाह जिलाधिकारी की अनुमति के बिना नहीं हो सकता.

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विवाह कार्यक्रम रद्द होने के बाद से दोनों परिवार किसी से मिल नहीं रहे हैं. खास कर दोनों परिवार मीडियाकर्मियों से दूरी बनाए हुए हैं. नाम ना लिखने की शर्त पर परिवार के लोगों ने क्विंट से बात की और कहा कि दोनों परिवारों को शादी पर कोई आपत्ति नहीं थी. परिवार का कहना है कि लड़का-लड़की दोनों बालिग हैं और अपने जीवन का फैसला लेने का उनको अधिकार है.

बाहरी लोगों के दखल से रोष

निम्न मध्यम वर्ग के दोनों परिवारों में इस बात पर रोष है कि बाहरी लोग उनके परिवार के आंतरिक मामले में दखल दे रहे हैं. उनका कहना है यह शादी हो कर रहेगी, भले ही मजिस्ट्रेट की अनुमति तक इंतजार करना पड़े. दोनों परिवार एक साथ मजिस्ट्रेट के पास शादी की अनुमति के लिए प्रार्थना-पत्र देंगे.

दूल्हे की उम्र 25 वर्ष है, वह पेशे से फार्मासिस्ट है. उसका कहना है कि शादी की तारीख नये कानून के पास होने से एक महीने पहले तय हो चुकी थी. उसने कहा ‘अगर मुझको नये कानून के बारे में मालूम होता तो मैंने पहले ही जिलाधिकारी से विवाह की अनुमति ली होती.

बेटी की खुशी में मेरी खुशी: मां

दुल्हन की मां का कहना कि हमारी खुशी वही है जो हमारी बेटी की खुशी है. उन्होंने कहा कि मैं कल भी इस विवाह के लिए राजी थी, आज भी हूं और कल भी राजी रहूंगी. दोनों परिवारों का कहना है कि इस विवाह में धर्म परिवर्तन का कोई मसला नहीं है. लड़के ने कभी लड़की से धर्म बदलने को नहीं कहा और न ही लड़की ने कभी लड़के से धर्म परिवर्तन पर बात करी हैं.

हिन्दू महासभा का पत्र

बता दें कि पहले पुलिस ने इस बात को स्वीकार किया था की एक धार्मिक संगठन की सूचना पर विवाह रोकने की करवाई की गई. लेकिन अब पुलिस का कहना है कि उसने इस मामले पर स्वयं संज्ञान लिया है. हालांकि मीडिया को वह प्रार्थना-पत्र मिला है, जिसमें अखिल भारत हिन्दू महासभा की उत्तर प्रदेश इकाई ने पारा पुलिस से इस विवाह को रुकवाने की बात कही थी.

अखिल भारत हिन्दू महासभा के जिला अध्यक्ष ब्रजेश कुमार शुक्ला द्वारा विवाह रुकवाने के लिए थानाध्यक्ष पारा को लिखा गया है. पत्र में दुल्हन के पिता के नाम के साथ विवाह की तारीख और जगह के बारे में भी बताया गया है.

शादी के लिए लेंगे परमिशन

वही अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (दक्षिण) सुरेश चंद्र रावत का कहना कि उनको सूचना मिली कि दो अलग समुदाय के लड़का-लड़की शादी कर रहे हैं. जिसके बाद दोनों के परिवार को थाने पर बुला कर ‘विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020’ के बारे में बताया गया. अब दोनों परिवार अगला कदम जिलाधिकारी की अनुमति के बाद उठाएंगे.

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Published: 05 Dec 2020,02:15 PM IST

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