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सीबीआई ने 11 जुलाई, गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह और उनके पति आनंद ग्रोवर के मुंबई और दिल्ली स्थित दफ्तरों और घर पर छापे मारे. दोनों पर फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट 2010 और प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 1988 के उल्लंघन का आरोप है.
इंदिरा जयसिंह के घर और दफ्तर पर पड़े छापे का दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत कई नेताओं ने विरोध किया है. केजरीवाल ने लिखा, 'जानी-मानी वकील इंदिरा जयसिंह और आनंद ग्रोवर पर हुई सीबीआई की रेड की मैं कड़ी निंदा करता हूं. कानून को अपना काम करने दें, लेकिन कानून के शासन को बनाए रखने के लिए जीवनभर संघर्ष करने वाले लोगों को निशाना बनाना साफ तौर पर गलत है.'
जर्नलिस्ट राजदीप सरदेसाई ने लिखा कि इंदिरा जयसिंह और आनंद ग्रोवर ने जिंदगीभर पॉवरफुल लोगों के खिलाफ लड़ाई लड़ी है. 'उनपर सीबीआई ने छापा मारा, और जो भ्रष्ट हैं, उनपर कोई कार्रवाई नहीं. बदले की भावना या कानून का शासन?'
वकील प्रशांत भूषण ने लिखा, 'इंदिरा जयसिंह और आनंद ग्रोवर के एनजीओ में विदेशी धन के कथित दुरुपयोग के आरोपों पर उनके घर पर छापे सीधे-सीधे बदले की भावना से प्रेरित है . मामलों का रजिस्ट्रेशन और सरकारी एजेंसियों का छापे मारवा अब विरोधियों को परेशान करने और डराने के लिए सरकार का नया तरीका बन गया है.'
राज्यसभा में विपक्ष के कुछ नेताओं ने भी पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर सीबीआई की कार्रवाई की निंदा की है.
सुप्रीम कोर्ट के एक वकील ने लिखा कि मोदी सरकार ने अब वकीलों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है.
एक ट्विटर यूजर ने लिखा कि इंदिरा जयसिंह ने भोपाल गैस त्रासदी, बेघरों समेत कई लोगों के लिए काम किया है. हाल ही में उन्होंने सेना के उस वेटरन का केस जीता जिसे अपनी भारतीय नागरिकता साबित नहीं कर पाने के कारण जेल में डाल दिया गया था. मोदी सरकार ने सीबीआई को उनके घर पर छापा मारने को भेजा.
प्रोफेसर अशोक स्वान ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी के नए इंडिया में मानवाधिकार के लिए लड़ने पर आपके साथ ऐसा होगा.
इंदिरा जयसिंह के घर छापामार कार्रवाई बीते 13 जून को लॉयर्स कलेक्टिव एनजीओ और इसके संस्थापकों में से एक, सीनियर लॉयर आनंद ग्रोवर के खिलाफ सीबीआई की ओर से दर्ज की गई FIR के बाद हुई है. ये FIR गृह मंत्रालय के एक अंडर सेक्रेटरी अनिल कुमार धस्माना की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई है.
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