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11 अक्टूबर की सुबह पुंछ की पहाड़ियों में आंतकियों से मुठभेड़ ( Poonch Encounter) में इंडियन आर्मी के पांच जवान शहीद हो गए. इन जवानों की शहादत से पूरा देश सदमे में है. सुरनकोट में डीकेजी के नजदीक जंगल में आतंकियों के छिपे होने की खबर मिलते ही सेना के जवान अपनी जान पर खेलकर उनकी तलाशी में निकल पड़े, लेकिन घने जंगल और मौसम का फायदा उठाते हुए आतंकियों ने उनपर हमला कर दिया और पांच जवान शहीद हो गए. देश पर जान कुर्बान करने वाले ये पांच लोग कौन थे. पढ़िए सबकी कहानी
गज्जन सिंह (Gajjan Singh) 10 अक्टूबर की रात आंतकियों से लड़ते-लड़ते शहीद हो गए. 26 अक्टूबर को अपने घरवालों के साथ जन्मदिन मनाने गांव जाने वाले थे, लेकिन उनके घरवाले अपने लाडले बेटे का जन्मदिन अब कभी नहीं मना पाएंगे. अपने बेटे से आखिरी बार हुई बातचीत का जिक्र करते हुए गज्जन के पिता चरण सिंह ने क्विंट को बताया-
रूपनगर जिले के पचरंदा गांव के रहने वाले गज्जन सिंह 4 भाइयों में सबसे छोटे थे, उनके बड़े भाई गांव में ही खेती का काम करते हैं. आठ महीने पहले ही उनकी शादी हुई थी, गज्जन सिंह की शहादत की खबर सुनकर उनकी पत्नी सदमे में हैं.
सरज सिंह (Saraj Singh) यूपी के शाहजहांपुर के रहने वाले थे, उन्होंने जून 2015 में आर्मी ज्वाइन की थी. उनके तीनों भाई भी देश की सेवा में तैनात हैं. वो तीन भाइयों में सबसे छोटे थे, उनके दोनों भाई भी कश्मीर में ही पोस्टेड हैं. सरज सिंह की भाभी ने क्विंट हिंदी से बात करते हुए बताया कि 11 अक्टूबर की सुबह जब सरज सिंह के शहीद होने की खबर मिली तो पूरा परिवार सदमे में आ गया, महज 26 साल की उम्र में शहीद हुए सरज सिंह का पूरा गांव गमगीन है.
10 अक्टूबर की रात करीब आठ बजे सरज ने हमेशा की तरह अपनी पत्नी से बात की और कहा कि वो सोने जा रहे हैं बहुत नींद आ रही है. उनकी पत्नी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि वो अब उनकी आवाज कभी नहीं सुन पाएंगी, इस पल के बाद वो ऐसी नींद में सो जाएंगे, कि फिर कभी लौटकर ही नहीं आएंगे.
शहीद जवानों में पंजाब के गुरदासपुर के चट्ठा के रहने वाले मनदीप सिंह (Mandeep Singh) भी शामिल हैं. जिनकी उम्र करीब 30 साल थी. अपने जन्मदिन से ठीक एक हफ्ते पहले वो शहीद हो गए. 16 अक्टूबर को उनका जन्मदिन है..
मनदीप ने सितंबर 2011 में इंडियन आर्मी ज्वाइन की थी, इस समय वो पुंछ के दराबा में पोस्टेड थे. उनकी पत्नी गांव में ही रहती हैं और उनका एक पांच साल का बेटा है और दूसरा बेटा अभी एक महीने का है. क्विंट ने मनदीप की पत्नी की बहन राजवीर कौर से बात की तो उन्होंने बताया-
राजवीर कौर ने बताया कि एक महीने पहले वो अपने बेटे के पैदा होने पर छुट्टी पर आए थे. दोबारा बच्चे को देखने आने के लिए बेकरार थे, इसलिए रोज वीडियो कॉल के जरिए भी वो अपने बच्चे की शक्ल देखते थे.
40 साल के शहीद जवान नायक सूबेदार जसविंदर सिंह (Jaswinder Singh) करीब 20 सालों से इंडियन आर्मी में हैं. 10 अक्टूबर की रात आतंकियों के जंगल में छिपे होने की खबर मिलते ही उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना मोर्चा संभाला और आतंकियों के हमले भी वो शहीद हो गए.
जसविंदर सिंह वह गांव मनन तलवंडी के रहने वाले हैं. उनके पिता हरभजन सिंह आर्मी में कप्तान की पोस्ट से रिटायर हुए थे, उनकी इसी साल मई में मौत हुई, उनके परिवार में उनकी पत्नी और दो बच्चे हैं. बेटे की उम्र 13 साल और बेटी की उम्र 11 साल है. क्विंट ने उनके भाई रजिंदर सिंह से बात की तो उन्होंने अपने भाई से आखिरी हुई बात का जिक्र करते हुए कहा-
रजिंदर सिंह ने बताया कि मई में उनके पिता की मौत हुई थी, तभी जसविंदर छुट्टी पर आए थे, अगले महीने पिता का कुछ क्रिया कर्म करना था, वो करने के लिए छुट्टी पर आने वाले थे, लेकिन क्या पता था कि हमें उनके अंतिम संस्कार की तैयारी करनी पड़ेगी.
केरल के वैसाख एच कोलम जिले के रहने वाले थे. 23 साल के वैसाख ने 2017 में आर्मी ज्वाइन की थी. उनकी अभी शादी नहीं हुई थी, उनके परिवार में उनकी मां और उनकी बहन हैं. बेटे की शहादत की खबर सुनकर घरवाले सदमे में हैं, वैसाख घर में अकेले कमाने वाले शख्स हैं,उनके पिता की कोविड के दौरान नौकरी छूट गई थी, जिसके बाद घर की जिम्मेदारी वैसाख ही उठा रहे थे, यहां तक कि उनकी शादी भी तय हो गई थी, लेकिन अपनी बहन की शादी पहले करने के लिए उन्होंने अपनी शादी से इनकार कर दिया.
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