Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019हिमाचल प्रदेश: शिक्षा विभाग ने फेल होने का नया रिकॉर्ड बनाया

हिमाचल प्रदेश: शिक्षा विभाग ने फेल होने का नया रिकॉर्ड बनाया

20 फीसदी सरकारी स्कूलों में 10वीं के आधे छात्र फेल, फिर भी कार्रवाई कुछ नहीं

द क्विंट
भारत
Updated:


स्कूली बच्चों की सांकेतिक फोटो (फोटो: द क्विंट)
i
स्कूली बच्चों की सांकेतिक फोटो (फोटो: द क्विंट)
null

advertisement

हिमाचल सरकार ने स्कूलों के परिणामों के आंकलन और सूबे में शिक्षा के खराब परिणामों के कारणों का पता लगाने के लिए जनवरी, 2010 में एक नीति बनाई थी. इस नीति के तहत जिन स्कूलों के परीक्षा परिणाम 25 फीसदी से कम होते, उनके शिक्षकों को दंडित किया जाना था.

ऐसे स्कूलों के शिक्षकों की वार्षिक गोपनीय रपट में प्रतिकूल टिप्पणी के साथ भावी वेतन वृद्धि रोकने का प्रावधान भी था. लेकिन इतना सब करने के बावजूद हिमाचल के शिक्षा विभाग ने शिक्षा की खराब स्थिति का कीर्तिमान स्थापित किया है.

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट के अनुसार, 2011-15 के दौरान 10वीं कक्षा के परिणाम काफी खराब रहे.

राज्य के 20 फीसदी सरकारी स्कूलों में 2014-15 की परीक्षा में 10वीं कक्षा के आधे और 12वीं कक्षा के 14 प्रतिशत छात्र फेल हो गए. यह खुलासा ऑडिट रिपोर्ट से हुआ.

CAG ने साथ ही इस बात पर ज्यादा आश्चर्य व्यक्त किया कि विभाग ने 25 फीसदी से कम परिणाम वाले स्कूलों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. CAG की रिपोर्ट में कई और चौकाने वाले आंकड़े भी सामने आए हैं.

साल 2011-15 के बीच शिक्षा की लुटिया डूबी

  • राज्य में कुल 2,230 सरकारी स्कूल हैं.
  • इनमें 2 से 16 स्कूलों में एक भी छात्र 10वीं कक्षा पास नहीं कर पाए.
  • जबकि 134 से 232 स्कूलों में 25 फीसदी से कम छात्र 10वीं कक्षा पास हुए.
  • इस दौरान स्कूल छोड़ने वाले लड़के और लड़कियों का कुल प्रतिशत 1.66 से 9.11 के बीच रहा.

CAG रिपोर्ट में हैरान करने वाले कुछ और आंकड़े

  • साल 2014-15: 12वीं कक्षा में कुल 1375 सरकारी स्कूलों में 10 स्कूलों में एक भी छात्र पास नहीं हुआ.
  • जबकि 48 स्कूलों में 25 फीसदी से भी कम छात्र पास हुए.
  • नौवीं कक्षा से 12वीं कक्षा तक (14 से 18 साल) में बच्चों के नामांकन की संख्या राज्य की जनसंख्या के अनुरूप नहीं है.
  • साल 2014-15 में राज्य के 2230 माध्यमिक और 1375 उच्च माध्यमिक स्कूलों में क्रमश: 14 और 39 प्रतिशत शिक्षकों की कमी थी.
218.67 करोड़ रुपए
साल 2014-15 में शिक्षा विभाग ने खर्च किए. जबकि राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत राज्य को 348.47 करोड़ रुपए मिले थे. यानी 129.80 करोड़ रुपए (37 प्रतिशत) का उपयोग ही नहीं हो पाया.

मसलन, हिमाचल सरकार के शिक्षा विभाग के पास किसी तरह से फंड्स की कमी भी नहीं है. फिर भी सरकारी लेखा परीक्षक ने विधानसभा में रिपोर्ट पेश कर यह बताया कि राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के क्रियान्वयन में कई खामियां रहीं, क्योंकि राज्य के स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है.

शिक्षा के स्तर में तेज गिरावट

हाल में समाप्त बजट सत्र के दौरान विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने राज्य में शिक्षा के स्तर में तेजी से गिरावट और स्कूल छोड़ने वाले छात्रों की संख्या में वृद्धि पर चिंता जताई थी. इसपर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने सफाई देते हुए कहा कि शिक्षकों के खाली पदों को भरना उनकी सरकार की पहली प्राथमिकता है.

मेरी सरकार ने 2013-14 से ही शिक्षा विभाग में खाली पदों को भरना शुरू कर दिया है, जो अब भी जारी है. इस वित्तीय वर्ष में 5000 से अधिक शिक्षकों की भर्ती की जाएगी. साथ ही हम यह सुनिश्चित करेंगे कि राज्य के सभी स्कूलों में कक्षा एक से ही गणित, हिन्दी और अंग्रेजी पढ़ाई जाए.
वीरभद्र सिंह, मुख्यमंत्री, हिमाचल प्रदेश

वादों की एक और पिटारा!

मुख्यमंत्री ने इस साल मार्च में शिक्षण संस्थानों के निरीक्षण और शिक्षा में सुधार के लिए ब्रिटिश व्यवस्था को पुनर्जीवित करते हुए शिक्षा निरीक्षणालय का गठन किया.

इसके अलावा इस बार बजट में मुख्यमंत्री ने एक योजना की घोषणा की जिसके तहत प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के दो उच्च माध्यमिक स्कूलों में उत्कृष्ट आधारभूत संरचनाओं और पढ़ाई की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 15 Apr 2016,12:02 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT