Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019कोरोना के बाद केवल 12 फीसदी भारतीय कर्मचारी ही लौटना चाहते हैं ऑफिस- सर्वे

कोरोना के बाद केवल 12 फीसदी भारतीय कर्मचारी ही लौटना चाहते हैं ऑफिस- सर्वे

घर से काम करने का बढ़ रहा है चलन, तीन में से एक कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम से खुश

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>वर्क फ्रॉम होम</p></div>
i

वर्क फ्रॉम होम

(फोटो- I Stock)

advertisement

कोरोना महामारी की वजह से पूरे विश्व में कंपनियों के द्वारा वर्क फ्रॉम होम (WFH) का तरीका अपनाया गया, जिससे कर्मचारी घर से ही आसानी से काम कर सकें. अब ये तरीका लोकप्रिय होता दिख रहा है.

हाल ही में हुए एक ग्लोबल सर्वे में पाया गया है कि लगभग 3 में से 1 (32 प्रतिशत) इंडियन वर्कर्स का कोई इरादा नहीं है कि वो कोरोना महामारी के बाद ऑफिस लौटें.

केवल 12 प्रतिशत भारतीय कर्मचारी घर से काम करना बंद करने और कार्यस्थल पर लौटने के लिए तैयार हैं.

हफ्ते में कुछ ही दिन ऑफिस जाना चाहते हैं लोग

जीपीआई (Ding Global Prepaid Index) द्वारा वैश्विक स्तर पर किए गए सर्वेक्षण में 6250 लोगों की प्रतिक्रियाओं को शामिल किया गया है.

दिलचस्प बात ये है कि 39 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें वर्क प्लेस पर लौटने में खुशी होगी, लेकिन सप्ताह में केवल कुछ दिन ही ऐसा करने का उनका इरादा है.

सर्वे से पता चला है कि 52 प्रतिशत लोग भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर आशावादी हैं, जो वैश्विक औसत से अधिक है.

भारत ने अपनी पारिवारिक आय और रोजगार की स्थिति के बारे में सकारात्मक महसूस करने वाली प्रतिक्रियाओं पर भी औसत से अधिक स्कोर किया है.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

बता दें कि इस वैश्विक सर्वेक्षण में पता चला है कि कुल मिलाकर, हाई वैक्सीनेशन स्तर और अर्थव्यवस्था के बारे में आशावादी रहने वाले देशों के बीच एक संबंध है, जो भारत के विशाल टीकाकरण प्रयास के लाभकारी साइड-इफेक्ट को दर्शाता है.

डिंग ग्लोबल प्रीपेड इंडेक्स (GPI) प्रीपेड बाजार का विश्लेषण करने वाला एक अर्धवार्षिक सर्वे है, जिसमें यूरोप, एशिया और अमेरिका के 6,250 लोगों से प्रीपेड ऑफरिंग के उपयोग के बारे में जानकारी जुटाई गई और भविष्य के लिए उनके दृष्टिकोण और गतिविधियों की भी जांच की गई.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT