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हवा में आलू उगाने की तैयारी, किसानों को मिलेगी 7 गुना अधिक पैदावार

अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र की ओर से एयरोपॉनिक्स तकनीक को साझा किया जाएगा.

गांव कनेक्‍शन
भारत
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एयरोपॉनिक्स तकनीक वह तकनीक है, जिसमें पौधे से बिना मिट्टी के जरिए आलू को उगाया जाता है.
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एयरोपॉनिक्स तकनीक वह तकनीक है, जिसमें पौधे से बिना मिट्टी के जरिए आलू को उगाया जाता है.
(फोटो: गांव कनेक्शन)

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देश में हरियाणा सरकार अब तकनीक के जरिए न सिर्फ हवा में आलू उगाने की तैयारी कर रही है, बल्कि किसानों को आलू की सात गुना अधिक पैदावार देने की भी तैयारी में है.

हरियाणा सरकार की करनाल स्थित बागवानी विभाग के तहत आलू तकनीक केंद्र और पेरू की राजधानी लीमा स्थित अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र के बीच हाल ही में एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया है. इसके तहत अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र की ओर से एयरोपॉनिक्स तकनीक को साझा किया जाएगा.

एयरोपॉनिक्स तकनीक वह तकनीक है, जिसमें पौधे से बिना मिट्टी के जरिए आलू को उगाया जाता है. इस तकनीक में बड़े-बड़े बॉक्सों में आलू के पौधों को लटका दिया जाता है और हर एक बॉक्स में पोषक तत्व और पानी डाला जाता है. इस तरह की तकनीक के उपयोग से पौधों की जड़ों में नमी बनी रहती है और थोड़े समय बाद आलू की पैदावार होती है.

इस बारे में हरियाणा के बागवानी विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. सत्येंद्र यादव बताते हैं, “एयरोपॉनिक्स तकनीक से आलू के पौधों की क्षमता बढ़ जाती है. आमतौर पर जिस आलू के एक पौधे से सिर्फ पांच और 10 आलू पैदा होते थे, इस तकनीक की मदद से आलू के एक पौधे से 70 आलू का उत्पादन हो सकेगा. ऐसे में सात गुना ज्यादा आलू का उत्पादन संभव होगा.“

आमतौर पर आलू के एक पौधे से सिर्फ 5-10 आलू ही पैदा होते हैं(फोटो: गांव कनेक्शन)

इस समझौते के जरिए आलू की खेती में यह तकनीक नई क्रांति ला सकती है. बीते माह हरियाणा के रोहतक शहर में तीन दिवसीय थर्ड एग्री लीडरशिप समिट-2018 के दौरान इस मेमोरंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया गया है.

करना पड़ सकता है थोड़ा इंतजार

एमओयू पर हस्ताक्षर होने के बाद अभी सितंबर से अक्टूबर तक इस तकनीक के लिए इंतजार करना पड़ सकता है. यह तकनीक आ जाने के बाद किसानों को बागवानी विभाग से पौधे लेकर इस तकनीक को अपना सकते हैं.

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(कुशल मिश्रा की ये रिपोर्ट गांव कनेक्शन वेबसाइट से ली गई है)

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