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दलितों-पिछड़ों के लिए काम करने वाले भारिप बहुजन महासंघ के अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर ने यलगार परिषद को माओवादियों से जोड़ने को पूरी तरह गलत बताया है. क्विंट हिंदी से विशेष बातचीत में अंबेडकर ने कहा कि यलगार परिषद का नजरिया हमेशा साफ रहा है और इसकी गतिविधियों का माओवादियों से कोई लेना-देना नहीं है.
उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में पुणे पुलिस का जो रवैया रहा है वो शक पैदा करता है. प्रकाश अंबेडकर ने कहा कि मंच से उस दिन किसी तरह का कोई भड़काऊ भाषण नहीं दिया गया था.
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यलगार परिषद क्या है, इसका इतिहास कितना पुराना है? क्या ये संगठन किसी एक व्यक्ति का है? ऐसे तमाम सवालों का जवाब समझने के लिए हमने यलगार परिषद के आयोजकों में से एक प्रकाश अंबेडकर से बात की. उनके इसका मकसद एकदम साफ है..
अंबेडकर के मुताबिक यलगार परिषद का कोई पुराना अस्तित्व नहीं है. इसमें पुणे के दलितों के हितों के लिए काम करने वाली संस्था कबीर कला मंच और छोटे बड़े करीब 40 संगठन शामिल हैं.
यलगार परिषद के आयोजनकों में जस्टिस पीबी सावंत भी शामिल हैं.
प्रकाश अंबेडकर का दावा है कि नक्सलियों से कथित संबंधों के आरोप में वामपंथी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी का मकसद आतंकवाद के आरोप में फंसी ‘‘सनातन संस्था'' के खिलाफ जांच से ध्यान भटकाना है.
उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने जनवरी में पुणे के पास हुई भीमा-कोरेगांव हिंसा के बारे में विरोधाभासी दावे किए हैं.
भीमा - कोरेगांव हिंसा की जांच कर रही पुणे ग्रामीण पुलिस ने संभाजी भिडे और मिलिंद एकबोटे के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई की गई थी. दोनों आक्रामक दक्षिणपंथी रूख रखने को लेकर जाने जाते हैं. इन दोनों ने कथित तौर पर हिंसा को उकसाया था.
31 दिसंबर 2017 के आयोजन में देश के अलग-अलग कोनों से आए लोगों ने हिस्सा लिया था. इनमें दलित एक्टिविस्ट, मानवाधिकार कार्यकर्ता और कुछ जाने पहचाने चेहरों शामिल हैं.
इनमें सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस पी.बी सावंत, बॉम्बे हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस बीजी कोलसे पाटिल, प्रकाश अंबेडकर, रोहित वेमुला की मां राधिका वेमुला, दलित एक्टिविस्ट और गुजरात से विधायक जिग्नेश मेवाणी, जेएनयू के छात्रनेता उमर खालिद, अलका महाजन, सोनी सोरी, अब्दुल हामिद और सुधीर ढ़वले भी थे.
यलगार परिषद को जोड़कर पुणे पुलिस ने अब तक जो गिरफ्तारियां की हैं, उसमें से केवल सुधीर ढ़वले ही एक मात्र व्यक्ति है जो यलगार परिषद में मौजूद थे और उन्होंने भाषण भी दिया था.
बाकी अब तक पुलिस की और से जो गिरफ्तारियां हुईं हैं, उनमें से किसी का भी यलगार परिषद से सीधा संबंध नहीं है.
31 दिसंबर, 2017 को पुणे में जिस यलगार परिषद का आयोजन हुआ, वो फिलहाल सुर्खियों में बनी हुई है. बता दें कि औपचारिक तौर पर ये कोई संगठन नहीं है. कई संगठनों ने मिलकर ये परिषद बनाई है.
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