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7 जून 2018, ये वो तारीख है जिसको लेकर देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बारे में कई तरह की बातें कहीं गईं. ताउम्र कांग्रेस पार्टी के रहे प्रणब मुखर्जी ने इस दिन संघ के एक कार्यक्रम को संबोधित किया था. इस संबोधन को आरएसएस-बीजेपी और कांग्रेस ने अपनी-अपनी 'नजरों' से देखा. प्रणब मुखर्जी ने अपने संबोधन में कई मुद्दों पर अपनी राय रखी, साथ ही ये भी कहा था कि राष्ट्रीयता आक्रामक नहीं है, इसे थोपना सही नहीं है.
31 अगस्त 2020 को प्रणब मुखर्जी ने अंतिम सांसें लीं. प्रणब मुखर्जी के निधन पर आरएसएस ने उन्हें मार्गदर्शन बताते हुए खेद जताया है. वहीं आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि प्रणब राष्ट्रहित को सर्वोपरी रखते थे और राजनीतिक छुआछूत में भरोसा नहीं रखते थे.
आरएसएस ने निधन को संगठन के लिए अपूरणीय क्षति बताया है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत और सरकार्यवाह सुरेश भय्याजी जोशी के हवाले से जारी बयान में कहा गया है कि मुखर्जी का जाना संघ के लिए एक अपूरणीय क्षति है.
संघ ने कहा, कुशल प्रशासक, राष्ट्र-हित सर्वोपरि का भाव जीवन में रख, राजनीतिक अस्पृश्यता से परे, सभी दलों में समान रूप से सम्मानित, मितभाषी, लोकप्रिय पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आज अपनी जीवन यात्रा पूर्ण कर परम तत्व में विलीन हो गए.
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा, भारत के राजनैतिक-सामाजिक जीवन में उपजी इस शून्यता को भरना आसान नहीं होगा. संघ के प्रति उनके प्रेम और सद्भाव के चलते हमारे लिए तो वे एक मार्दर्शक थे. उनका जाना संघ के लिए एक अपूरणीय क्षति है.
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