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पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, भारतीय जनसंघ के दिवंगत नेता नानाजी देशमुख और दिवंगत गायक भूपेन हजारिका को मंगलवार को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में प्रणब मुखर्जी, भूपेन हजारिका के बेटे तेज हजारिका और नानाजी देशमुख के करीबी रिश्तेदार विरेंद्रजीत सिंह को यह पुरस्कार प्रदान किया. हजारिका और देशमुख को यह सम्मान मरणोपरांत दिया गया है.
साल 2017 में राष्ट्रपति पद से रिटायर हुए प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न देने का फैसला चौंकाने वाला रहा. राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान उनके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अच्छे संबंध थे. बतौर राष्ट्रपति उन्होंने ढाई साल नरेंद्र मोदी सरकार के साथ काम किया था.
दरअसल, प्रणब मुखर्जी की गिनती कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में से होती रही है, जो अपने पूरे राजनीतिक जीवन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा के खिलाफ लड़ते रहे.
एक कांग्रेसी नेता के रूप में राजनीति में नई ऊंचाइयों को छू चुके मुखर्जी (84) ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नागपुर स्थित मुख्यालय में एक कार्यक्रम में शामिल होकर विवाद खड़ा कर दिया था.
नानाजी देशमुख को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया है. वह एक आरआरएस प्रचारक थे, जो 60 के दशक में उत्तर प्रदेश के प्रभारी बनकर उभरे थे और 1980 के दशक में बीजेपी के शिल्पकारों में से एक थे.
देशमुख ने दीन दयाल उपाध्याय द्वारा स्थापित एकात्म मानववाद के दर्शन को फैलाने के लिए 1972 में दीनदयाल अनुसंधान संस्थान (डीडीआरआई) की स्थापना की थी. सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने के बाद उन्होंने आत्मनिर्भरता के लिए चित्रकूट परियोजना शुरू की. 27 फरवरी, 2010 को नानाजी देशमुख का 94 वर्ष की आयु में निधन हो गया.
भूपेन हजारिका को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया है. कवि, पार्श्वगायक, गीतकार और फिल्म निर्माता हजारिका का 85 साल की उम्र में साल 2011 में निधन हो गया था. उन्होंने असमिया लोक गीत और संस्कृति को हिंदी सिनेमा में लाकर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई थी.
भूपेन हजारिका ने असम की संस्कृति को कला के जरिए व्यापक पैमाने तक पहुंचाया. संगीतकार, गायक, एक्टर और फिल्म निर्देशक के रूप में वे सक्रिय रहे.
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