advertisement
सुप्रीम कोर्ट और CJI पर ट्वीट करने को लेकर अवमानना मामले में दोषी करार दिए जा चुके वकील प्रशांत भूषण ने 20 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा कि वो अपने ट्वीट को लेकर कोर्ट से माफी नहीं मांगेंगे. उन्होंने ये ट्वीट बतौर नागरिक अपना कर्तव्य निभाने के लिए किए थे. कोर्ट ने भूषण को पुनर्विचार के लिए 2-3 दिन का समय दिया है. कोर्ट में अपना पक्ष मजबूती से रखने के लिए पत्रकारों, वकीलों और एक्टिविस्ट ने भूषण की तारीफ की है.
लाइव लॉ के मैनेजिंग एडिटर मनु सेबेस्टियन ने लिखा कि प्रशांत भूषण ने आज जो साहस दिखाया है, वो आज कल कम ही देखने को मिलता है.
कोर्ट की अवमानना का पहले सामना कर चुके द हिंदू के पूर्व संपादक एन. राम, इस मामले में शुरुआत से ही प्रशांत भूषण के पक्ष में नजर आए, उन्होंने भूषण के बयान को स्पष्ट दृष्टिकोण वाला बताया और उसे ट्विटर पर शेयर किया है.
भूषण ने कोर्ट में महात्मा गांधी के कथन को दोहराते हुए कहा है कि, "मैं दया की भीख नहीं मांगूंगा, मैं उदारता दिखाने की अपील भी नहीं करूंगा. अदालत जो सजा देगी उसे खुशी-खुशी मंजूर कर लूंगा."
इस पर विचारक सुधींद्र कुलकर्णी कहते हैं- क्या साफ और साहसिक बयान था- खासतौर पर आखिरी वाक्य, जिसमें महात्मा गांधी के शब्दों को याद किया गया.
वकील करुणा नंदी ने प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, "सच का कानूनी रूप से बचाव कभी भी कैसे हो सकता है?"
जर्नलिस्ट आशुतोष ने ट्विटर पर लिखा, "संवैधानिक व्यवस्था के नैतिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए प्रशांत भूषण ने जो साहस दिखाया है, उसके लिए मैं उन्हें को सलाम करता हूं."
पॉलिटिकल साइंटिस्ट सुहास पलशिखर ने भूषण के बयान को साहसिक बताया.
एक्टिविस्ट कविता कृष्णन ने लिखा कि प्रशांत भूषण बताते हैं कि इस देश के साहसी नागरिकों में कितनी हिम्मत है, जो संगठनों में नहीं है. यही हिम्मत भारत में लोकतंत्र को बचाएगी.
एक्टिविस्ट योगेंद्र यादव ने भी कोर्ट में प्रशांत भूषण के स्टैंड को ऐतिहासिक बताया.
एक्टिविस्ट उमर खालिद ने प्रशांत भूषण का शुक्रिया अदा करते हुए लिखा कि इतिहास इस दिन को याद रखेगा.
कई दूसरे जर्नलिस्ट ने भी अपना मजबूती से अपना पक्ष रखने के लिए प्रशांत भूषण की तारीफ की.
प्रशांत भूषण के ये दो ट्वीट थे:
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)