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बार-बार गर्भपात कराना कितना सही, जानें एक्सपर्ट की राय

कई बार अनचाही प्रेग्नेंसी महिलाओं के लिए मुसीबत का सबब बन जाती है

द क्विंट
भारत
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मां बनना हर महिला के लिए दुनिया का सबसे बड़ा वरदान होता है, लेकिन कई बार अनचाही प्रेग्नेंसी महिलाओं के लिए मुसीबत का सबब भी बन जाती है. ऐसे मामलों में फिर उन्हें गर्भपात का सहारा लेना पड़ता है.

आखिर क्या होता है गर्भपात, किन-किन तरीकों से होता है गर्भपात इन सभी मुद्दों पर क्विंट हिंदी ने बात की वर्च्यू हेल्थ क्लीनिक की डॉक्टर कोमल सिंह से.

डॉक्टर कोमल सिंह. (फोटो: फेसबुक)
20 हफ्ते के पहले यूटरस में बेबी का हार्ट बीट बंद हो जाए तो उसे गर्भपात कहते हैं. 20 हफ्ते के बाद अबॉर्शन करवाना महिला के शरीर के लिए खतरनाक हो सकता है. अगर कोई महिला 20 हफ्ते के बाद अबॉर्शन कराना चाहती है तो उसे कोर्ट से मंजूरी लेनी पड़ती है. हमारे देश में अबॉर्शन को लेकर कई अनियमितताएं है, जिसकी वजह से कई बार परेशानी का सामना करना पड़ता है.  

ऐसे केस में हो सकता है गर्भपात

  • अनचाही प्रेग्नेंसी के केस में हो सकता है अबॉर्शन
  • रेप केस में अबॉर्शन किया जा सकता है.
  • महिला की आर्थिक स्थिति अच्छी ना हो, वो बच्चे की देखभाल करने की हालत में ना हो.
  • महिला मेडिकली अनफिट हो, ऐसी हालत में उसका अबॉर्शन किया जा सकता है.

गर्भपात से पहले इन बातों पर ध्यान

किसी भी महिला को गर्भपात कराने से पहले अल्ट्रासाउंड कराना बेहद जरूरी होता है. कई बार महिलाएं अल्ट्रासाउंड नहीं कराना चाहती हैं, लेकिन उनके हेल्थ के लिए एक बार अल्ट्रासाउंड से प्रेग्नेंसी को कंफर्म करना बेहद जरूरी होता है.

इससे पता चलता है कि कितने दिन की प्रेग्नेंसी है और बच्चा बच्चेदानी के अंदर है या नहीं. अल्ट्रासाउंड के बाद ये फैसला लिया जाता है कि किस तरीके से अबॉर्शन किया जाए.

गर्भपात कराने से पहले अल्ट्रासाउंड कराना बेहद जरूरी.( फोटो: iStock)
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कैसे होता है अबॉर्शन

12 हफ्ते से पहले अबॉर्शन के लिए मेडिकल तरीका अपनाया जाता है. 9 हफ्ते तक की प्रेग्नेंसी में मेडिकल अबॉर्शन के लिए दौरान गोलियों का इस्तेमाल किया जाता है.

इन गोलियों की वजह से गर्भाशय की लाइनिंग को नष्ट कर दिया जाता है, जिससे भ्रूण गर्भाशय से अलग हो जाता है और गर्भ खत्म हो जाता है. इस दौरान मिफेप्रिस्टोन और मिसोप्रोस्टॉल दो गोलियां लेनी होती हैं. 1 दवाई पहले दी जाती है, बाकी की 4 दवाइयां 48 घंटे के बाद दी जाती हैं. ब्लीडिंग के साथ ही अबॉर्शन हो जाता है.

12 हफ्ते के बाद की प्रेग्नेंसी में तो डी एंड सी करना बेहतर रहता है. इसमें नॉर्मल डिलिवरी का तरीका ही अपनाया जाता है. मरीज को दवाई देकर पेन इंड्यूस किया जाता है. एक खास तरह की सीरिंज भ्रूण को बाहर निकाल देती है. कई बार आक्सीटॉसिन की भी जरूरत पड़ती है.

(फोटो: iStock)

बार-बार गर्भपात हो सकता है खतरनाक

वैसे डी एंड सी सेफ तो है, लेकिन अगर मरीज बार-बार डी एंड सी कराए तो आगे जाकर मुश्किल भी हो जाती है. इसलिए अबॉर्शन के 6 महीने तक दोबारा प्रेग्नेंसी से बचें. डॉक्टर के मुताबिक अगर आपको मां नहीं बनना है तो प्रिकॉशन लें. आप पिल्स का प्रयोग कर सकती हैं.

इसके अलावा कई तरह के उपाय हैं, बार-बार मेडिकल या सर्जिकल किसी भी तरह का अबॉर्शन आपके शरीर के लिए सही नहीं है. इससे शरीर का हार्मोन डिस्टर्ब होता है और आगे चलकर आपके लिए मुश्किल हो सकती है.

बिना डॉक्टर के सलाह के ना लें दवाई

कई बार महिलाएं बिना डॉक्टर की सलाह के मेडिकल स्टोर से दवाई लेकर खा लेती हैं. ऐसी गलती करने से बचें. हालांकि अगर कोई मेडिकल स्टोर वाला ये दवाई बिना डॉक्टर के प्रिस्क्रीप्शन के दे रहा है तो वो गैरकानूनी है. इसलिए अगर आप प्रेग्नेंट हो गई हैं, तो सबसे पहले किसी विशेषज्ञ की सलाह लें. ऐसे केस में इनफेक्शन के चासेंज भी बढ़ जाते हैं.

(फोटो: iStock)

बढ़ रहे हैं अबॉर्शन के मामले

पिछले कुछ सालों में अबॉर्शन के मामले बढ़ रहे हैं. आजकल के लिव-इन कल्चर में रहने वाली कई अनमैरिड लड़कियां भी जानकारी के आभाव में प्रेग्नेंट हो जाती हैं. अक्सर इस तरह की लड़कियां भी डॉक्टर के पास अबॉर्शन के लिए आती हैं. वैसे 35 से 40 साल के उम्र की महिलाएं ज्यादा अबॉर्शन के लिए आती हैं, जिनकी फेमिली पूरी है, लेकिन गलती से प्रेग्नेंट हो गई हैं और उन्हें बच्चा नहीं चाहिए.

अविवाहित लड़कियों के लिए कौन सा अबॉर्शन सही

डॉक्टरों के मुताबिक अविवाहित लड़की अगर पहली बार प्रेग्नेंट हुई है, तो उसके लिए मेडिकल अबॉर्शन ही सही होता है. ऐसे केस में कोशिश की जाती है कि डी एंड सी न की जाए. क्योंकि भविष्य में उनके लिए कुछ दिक्कतें आ सकती हैं.

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