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राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind farewell speech) शनिवार, 23 जुलाई की शाम संसद पहुंचे जहां दोनों सदन के सांसदों ने संयुक्त रूप से उन्हें विदाई दी. संसद के सेंट्रल हॉल में आयोजित इस विदाई समारोह में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा कि "मैं राष्ट्रपति के रूप में सेवा करने का अवसर देने के लिए देश के नागरिकों का हमेशा आभारी रहूंगा". इस मौके पर उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू, पीएम नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी मौजूद रहे. आइए जानते हैं विदाई समारोह में भाषण के दौरान राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा कही गयीं 10 बड़ी बातें.
1. मैं राष्ट्रपति के रूप में सेवा करने का अवसर देने के लिए देश के नागरिकों का हमेशा आभारी रहूंगा.
2. इस सेंट्रल हॉल में एक सांसद के रूप में मैंने न जाने कितने यादगार पल बिताये हैं. 5 साल पहले इसी सेंट्रल हॉल में मैंने राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी.
3. अपने कार्यकाल के दौरान मैंने अपनी पूरी क्षमता से अपने कर्तव्यों के निर्वहन का प्रयास किया है. आपके विश्वास के दम पर मैं अपने दायित्वों को भलीभांति निभा सका.
4. जैसा किसी भी परिवार में होता है, संसद में भी कभी-कभी मतभेद होते रहते हैं... पारिवारिक मतभेदों को सुलझाने के कई रास्ते हो सकते हैं जो शांति,सद्भाव और संवाद पर आधारित होते हैं.
5. राष्ट्रपिता गांधी ने अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए शांति और अहिंसा पर आधारित सत्याग्रह के अस्त्र का इस्तेमाल किया था. लेकिन वे दूसरे पक्ष का सम्मान भी करते थे. नागरिकों को भी अपनी मांग के लिए गांधी जी की तरह शांति का मार्ग अपनाना चाहिए.
5. दलों को दलगत राजनीति से ऊपर उठना चाहिए और राष्ट्र सर्वोपरी की भावना से विचार करना चाहिए कि देशवासियों के विकास और कल्याण के लिए कौन-कौन से कार्य आवश्यक हैं.
6. स्वच्छ भारत अभियान- स्वच्छता का यह राष्ट्रीय अभियान सरकार और देशवासियों की तरफ से महात्मा गांधी जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि रहा है.
7. कोरोना से हमें सबक मिला कि मानव समाज भूलने लगा था कि वह प्रकृति का ही एक अभिन्न हिस्सा है. वह प्रकृति से न ही अलग और न ही ऊपर है.
8. समाज के हासिये पर मौजूद लोगों के जीवन स्तर को सुधारने का बहुत प्रयास किया गया है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. हमारा देश धीरे-धीरे ही सही लेकिन सधे कदमों से डॉ आंबेडकर के सपनों को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है.
9. मैं मिट्टी के कच्चे घरों में पला-बढ़ा हूं लेकिन आज ऐसे बच्चों की संख्या कम हो गयी है जिनको ऐसे घर से रहना पड़ता है जिनमें छत से पानी टपकता है. यह सरकार के विशेष प्रयासों से संभव हो सका है.
10. राष्ट्रपति पद के लिए नवनिर्वाचित द्रौपदी मुर्मू जी को बधाई और शुभकामनाएं देता हूं.
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