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दिल्ली यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सस्पेंड कर दिया है. साथ ही उनके खिलाफ लगे आरोपों की जांच के आदेश भी जारी किए हैं. यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर योगेश त्यागी के खिलाफ प्रशासनिक अनियमितताओं को लेकर कई मामले सामने आए थे. जिसके बाद इसकी शिकायत शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से की गई और उन्होंने राष्ट्रपति से इस मामले में वीसी के खिलाफ जांच की अपील की थी.
इससे पहले राष्ट्रपति की तरफ से शिक्षा मंत्रालय को वीसी के खिलाफ जांच की इजाजत दी गई थी. मंत्रालय ने वीसी त्यागी के खिलाफ जांच के लिए एक कमेटी भी बनाई है. लेकिन मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि वीसी जांच को प्रभावित कर सकते हैं, इसीलिए अब उन्हें निलंबित कर दिया गया है. उनकी जगह फिलहाल प्रोफेसर पीसी जोशी वाइस चांसलर के पद पर काम करेंगे.
दरअसल वीसी योगेश त्यागी के खिलाफ एक साथ कई अनियमितताओं के मामले आए थे. लेकिन मामला तब बढ़ गया जब योगेश त्यागी ने दो नियुक्तियां कर दीं. उन्होंने एक नए प्रो-वीसी और रजिस्ट्रार की नियुक्ति की. इस दौरान वीसी योगेश त्यागी मेडिकल लीव पर थे और दिल्ली एम्स में उनका इलाज चल रहा था. इन दोनों नियुक्तियों पर पूरे विश्वविद्यालय में बहस शुरू हो गई. कई प्रोफेसरों ने इसका विरोध भी किया. इसके अलावा जिस रजिस्ट्रार की नियुक्ति हुई, उन पर भी कई आरोप लगाए गए थे. विवाद के बाद शिक्षा मंत्रालय ने वीसी के इन आदेशों पर रोक लगा दी थी.
वाइस चांसलर त्यागी ने पीसी झा को ऑपरेशन रिसर्च डिपार्टमेंट से साउथ कैंपस का डायरेक्टर और अंतरिम रजिस्ट्रार नियुक्त कर दिया. जबकि इन दोनों पदों पर पहले से ही सुमन कुंदु काम कर रहे थे. जिन्हें प्रो वाइस चांसलर पीसी जोशी ने इसी साल सितंबर में नियुक्त किया था.
लेकिन बात यहीं पर खत्म नहीं हुई. जिन प्रो वीसी जोशी ने वीसी के फैसले पर रोक लगाई थी, वीसी ने उन्हें ही पद से हटा दिया. 22 अक्टूबर को वीसी त्यागी ने प्रो वीसी जोशी को हटाकर इस पद पर डॉक्टर गीता भट्ट को नियुक्त कर दिया. अब गीता भट्ट ने तुरंत इसके बाद रजिस्ट्रार पद पर विकास गुप्ता की नियुक्ति को अमान्य करार दे दिया. अब डीयू में तीन रजिस्ट्रार और दो प्रो वीसी नियुक्त थे.
इस पूरे घटनाक्रम के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को मामले में दखल देना पड़ा और कहा गया कि वीसी त्यागी ने मेडिकल लीव पर रहते हुए जो भी नियुक्तियां की हैं, वो सभी नियमों के खिलाफ हैं.
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