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शहीदों के परिवारवालों से मिले PM,कहा-कुर्बानी कभी व्यर्थ नहीं होगी

मोदी ने दीप जलाकर कार्यक्रम की शुरुआत की

क्विंट हिंदी
भारत
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मोदी ने दीप जलाकर कार्यक्रम की शुरुआत की
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मोदी ने दीप जलाकर कार्यक्रम की शुरुआत की
(फोटो: PTI)

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कारगिल युद्ध के 20 साल पूरे होने के अवसर पर दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचे. पीएम मोदी ने यहां कारगिल युद्ध के शहीद जवानों के परिवारजनों से मुलाकात की. इस मौके पर पीएम ने शूरवीरों को सलामी देते हुए अपने कारगिल दौरे की भी बात साझा की.

पीएम मोदी ने कहा कि इस अवसर पर, मैं उन सभी बहादुरों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं जिन्होंने अपने खून का बलिदान देकर कारगिल की चोटियों से तिरंगे को उतारने की साजिश को नाकाम कर दिया. मैं उन बहादुर माताओं का भी सम्मान करता हूं जिन्होंने इन बहादुरों को जन्म दिया.

पाकिस्तान शुरू से ही कश्मीर को लेकर छल करता रहा है. साल 1948, 1965, 1971 उसने यही किया. साल 1999 में उसका छल पहले की तरह फिर एक बार छलनी कर दिया गया.
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

इस मौके पर प्रधानमंत्री ने सरकार की कुछ योजनाओं का भी जिक्र किया.

बीते पांच सालों में सैनिकों और उनके परिवार के कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं. आजादी के बाद दशकों से जिसका इंतजार था, उस ‘वन रैंक वन पेंशन’ लागू करने का काम हमारी ही सरकार ने पूरा किया. इस बार हमारी सरकार बनने के बाद, हमने शहीदों के बच्चों की छात्रवृत्ति बढ़ाने का फैसला लिया.
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

मोदी ने कहा, आज युद्ध अंतरिक्ष तक पहुंच गया है. साइबर दुनिया में आज भी युद्ध लड़े जाते हैं. इसलिए, रक्षा बलों का आधुनिकीकरण न केवल एक आवश्यकता है, बल्कि हमारी प्राथमिकता भी है. आधुनिकीकरण हमारे रक्षा बलों की पहचान होनी चाहिए.

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मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ कारगिल विजय दिवस समारोह के लिए इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम पहुंचे(फोटो: PTI)

जब 20 साल पहले युद्ध के दौरान जवानों के साथ थे मोदी

पीएम मोदी साल 1999 में कारगिल गए थे. तब उन्होंने कुछ समय सैनिकों के साथ गुजारा था. ये वक्त था जब वो पार्टी के लिए जम्मू-कश्मीर और हिमाचल में काम करते थे. उस समय को याद करते हुए मोदी ने कहा, "मैं 20 साल पहले कारगिल गया था जब युद्ध अपने चरम पर था, दुश्मन ऊंची चोटियों पर बैठे अपने खेल खेल रहे थे. एक साधारण नागरिक के नाते मैंने मोर्चे पर जुटे अपने सैनिकों के शौर्य को उस मिट्टी पर जाकर नमन किया था."

आज युद्ध की प्रकृति बदल गई है, मानवता और दुनिया छद्म युद्ध का शिकार है. आतंकवाद पूरे मानव जाति को चुनौती दे रहा है. युद्ध में पराजित लोग अपने राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने और आतंकवाद को प्रोत्साहित करने के लिए छद्म युद्ध का इस्तेमाल कर रहे हैं.
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

कैप्टन विक्रम बत्रा के पिता से मिले मोदी

कैप्टन विक्रम बत्रा के पिता से मिले मोदी(फोटो: ANI)

कारगिल विजय दिवस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने युद्ध में अपनी जान गंवा चुके कैप्टन विक्रम बत्रा के पिता जीएल बत्रा से मुलाकात की. कैप्टन विक्रम बत्रा को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया जा चुका है. अपने भाषण में कैप्टन की एक बात को दोहराते हुए कहा, "हिमाचल प्रदेश के सपूत जम्मू-कश्मीर राइफल्स के कैप्टन विक्रम बत्रा ने जब कहा था 'ये दिल मांगे मोर', तब उनका दिल अपने लिए नहीं मांग रहा था, एक धर्म, एक भाषा या जाति के लिए नहीं बल्कि पूरे भारत के लिए, मां भारती के लिए..."

उन्होंने आगे कहा, “ये कुर्बानी, ये बलिदान हम व्यर्थ नहीं होने देंगे. हम उनसे प्रेरणा लेंगे. उनके सपने का भारत बनाने के लिए हम अपनी जिंदगी कुर्बान करते रहेंगे.”

इससे पहले 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस की 20वीं सालगिरह के मौके पर मोदी ने ट्वीट कर युद्ध में शहीद हुए सेना के जवानों को श्रद्धांजलि दी थी. ट्वीट में पीएम मोदी ने कहा था, "कारगिल विजय दिवस पर मां भारती के सभी वीर सपूतों का मैं हृदय से वंदन करता हूं. ये दिवस हमें अपने सैनिकों के साहस, शौर्य और समर्पण की याद दिलाता है. इस अवसर पर उन पराक्रमी योद्धाओं को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया. जय हिंद!"

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