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प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने 29 मई को पीएम-केयर्स फंड की जानकारी देने से मना कर दिया. लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, PMO ने कहा कि फंड RTI एक्ट के तहत 'पब्लिक अथॉरिटी' नहीं है. पीएम-केयर्स फंड को कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर 28 मार्च को बनाया गया था. पीएम नरेंद्र मोदी इस फंड के चेयरपर्सन हैं और कई वरिष्ठ कैबिनेट सदस्य इसके ट्रस्टी हैं.
RTI एप्लीकेशन के जवाब में PMO ने कहा, "पीएम-केयर्स फंड RTI एक्ट 2005 के सेक्शन 2(h) के तहत पब्लिक अथॉरिटी नहीं है. हालांकि फंड से संबंधित जानकारी उसकी वेबसाइट pmcares.gov.in पर देखी जा सकती है."
लाइव लॉ के मुताबिक, ऐसी कोई जानकारी आधिकारिक वेबसाइट पर मौजूद नहीं है.
बेंगलुरु की अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी में लॉ स्टूडेंट हर्ष कंडुकुरी के हवाले से 'द हिंदू' ने बताया, "जब हमारे पास प्रधानमंत्री नेशनल रिलीफ फंड (PMNRF) मौजूद है, तो दूसरे फंड की जरुरत मुझे समझ नहीं आई. मैं इस फंड की व्यवस्था और इसके ट्रस्ट के उद्देश्य के बारे में जानना चाहता था. मैं ट्रस्ट डीड पढ़ना चाहता था."
RTI एक्ट के तहत, पब्लिक अथॉरिटी ऐसा संगठन है जो (a) संविधान के तहत (b) या संसद के किसी कानून के जरिए (c) या सरकार के किसी आदेश के जरिए बनाई गई हो. इस परिभाषा में ऐसे संगठन भी आते हैं, जिन्हें सरकार या गैर-सरकारी संगठनों से फाइनेंस मिलता है.
पिछले महीने सरकार ने कहा था कि पीएम-केयर्स फंड का CAG ऑडिट नहीं करेगा, क्योंकि इस फंड में लोग और संगठन डोनेशन दे रहे हैं.
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