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चंद्रयान-2 :‘मिशन जटिल था,फिर जोश से जुटे इसरो के वैज्ञानिक’

भारत सरकार के प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर ने कहा कि इसरो के वैज्ञानिकों की  प्रोफेशनलिज्म काबिले तारीफ है

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चंद्रयान मिशन-2 पर फिर जोर-शोर से काम शुरू हो सकता है
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चंद्रयान मिशन-2 पर फिर जोर-शोर से काम शुरू हो सकता है
(फोटो : द क्विंट) 

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भारत सरकार के प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर डॉ. के विजय राघवन ने चंद्रयान-2 मिशन को बेहद जटिल करार दिया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि 22 जुलाई को चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग के बाद भारत और पूरी दुनिया में लोग इस मिशन को काफी उम्मीद और उत्साह से देख रहे थे. भारत अंतरिक्ष विज्ञान में इतिहास रचने के करीब था, लेकिन चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम से संपर्क टूट गया. हालांकि निराशा के कुछ देर बाद ही इसरो में कामकाज पहले की तरह शुरू हो गया. विज्ञान में सामूहिकता की यह प्रवृति प्रेरित करती है.

मिशन की हो रही है समीक्षा

डॉ. राघवन ने लिखा कि लैंडर से संपर्क टूटने के कुछ ही घंटे बाद बिल्कुल सुबह ही प्रोजेक्ट रिव्यू टीम ने मिशन मैनेजमेंट के सामने अपना प्रजेंटेशन दिया. इसकी अध्यक्षता डॉ. सिवन ने ही की. डॉ. राघवन ने लिखा

मैनेजमेंट के लोग इस खामी को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं और टीम इस घटना से सीखने की कोशिश में लगी है. बहरहाल निराशा के इस फौरी लम्हे के बाद इसरो में वैज्ञानिक पहले की तरह अपने काम में जुट गए हैं. विज्ञान में सामूहिकता की यह प्रवृति प्रेरित करती है.
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पल-पल की जानकारी दे रहे थे डॉ. राघवन

इससे पहले डॉ राघवन ने लगातार ट्वीट कर मिशन की पल-पल की जानकारी दे रहे थे. इसकी बारीकियां समझा रहे थे. बता दें कि लैंडर 'विक्रम' 6 और 7 सितंबर की दरम्यानी रात चांद के दक्षिणी धुव्रीय क्षेत्र में सॉफ्ट लैंडिंग करने जा रहा था. मगर जब 'विक्रम' चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की दूरी पर था, इसका संपर्क इसरो से टूट गया. इसके बाद इसरो चीफ के सिवन ने कहा कि हम डेटा एनालाइज कर रहे हैं.

भारत के इस मिशन पर न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा भले ही भारत पहली कोशिश में लैंडिंग नहीं करा पाया, इसकी कोशिश इसकी इंजीनियरिंग के कौशल और महत्वाकांक्षाओं को दिखाती है. इस आर्टिकल में लिखा गया है कि कम खर्च का मतलब ज्यादा रिस्क होता है, जिसे NASA को भी ध्यान में रखना होगा क्यों यह भी कम लागत वाले मिशन की ओर बढ़ रहा है.'

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