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युद्धबंदी की वतन वापसी के बाद क्या-क्‍या जांच करती हैं एजेंसियां?

जानिए युद्धबंदी को स्वदेश लौटने के बाद किन जांचों से गुजरना पड़ता है और क्यों?

अंशुल तिवारी
भारत
Published:
एयर फोर्स के विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान की वापसी
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एयर फोर्स के विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान की वापसी
(फोटोः PTI)

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पाकिस्तान में युद्धबंदी बनाए गए भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान स्वदेश पहुंच चुके हैं. पाकिस्तान ने शुक्रवार रात करीब 9.30 बजे वाघा-अटारी बॉर्डर पर अभिनंदन वर्तमान को बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स को सौंप दिया. यहां से भारतीय वायुसेना के अफसर उन्हें अपने साथ दिल्ली लेकर जाएंगे. उनका मेडिकल कराया जाएगा.

लेकिन क्या आपको पता है कि दुश्मन देश से युद्धबंदी के स्वदेश लौटने पर उसे किस तरह की जांचों का सामना करना पड़ता है? जिस तरह जेनेवा कन्वेंशन के तहत युद्धबंदी के अधिकार होते हैं, उसी तरह से सर्विस लॉ के मुताबिक, युद्धबंदी को दुश्मन देश से स्वदेश लौटने पर कुछ जांचों से गुजरना होता है.

स्वदेश लौटने के बाद होता है मेडिकल

डिफेंस सर्विस लॉ के मुताबिक, अगर एक बार हमारा कोई जवान दुश्मन देश में पकड़ा जाता है तो वह कोई भी हो, उसे कड़ी पूछताछ के दौर से गुजरना होता है. जवान किसी भी सैन्य बल का हो, लेकिन स्वदेश वापसी के बाद उसका बल उसे इंटेलिजेंस के सपुर्द कर देता है. इसके बाद जवान के कई टेस्ट और एग्जामिनेशन किए जाते हैं, ताकि समझा जा सके कि वह पूरी तरह फिट और स्वस्थ है.

साइकोलॉजिकल टेस्ट

साइकोलॉजिकल टेस्ट के जरिए ये भी जानने की कोशिश की जाएगी कि दुश्मन मुल्क ने कहीं जवान को देश की सुरक्षा से जुड़ी खुफिया जानकारियों को निकलवाने के लिए टॉर्चर तो नहीं किया. या फिर वापस आने के बाद जवान किसी भी तरह के मानसिक तनाव में तो नहीं है. इन जांचों से ये भी सुनिश्चित किया जाता है कि कहीं दुश्मन मुल्क ने उसका ब्रेन वॉश कर उसे अपने साथ तो नहीं मिला लिया.

बॉडी की स्कैनिंग

इसके अलावा उनके शरीर को एडवांस मशीनों से स्कैन भी किया जाएगा, ताकि इस बात का पता लगाया जा सके कि कहीं दुश्मन मुल्क ने जासूसी करने के लिए जवान के शरीर में कोई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस तो नहीं लगा दिया है.

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इंटेलिजेंस एजेंसियां भी कर सकती हैं पूछताछ

नियमों के तहत दुश्मन देश से लौटने के बाद जवान को डिपार्टमेंटल इन्क्वायरी या इंटरनल जांच से गुजरना होता है. इसके अलावा इंटेलिजेंस एजेंसियां भी जवान से पूछताछ करती हैं, ताकि ये पता लगाया जा सके कि उसके पास जो भी सूचनाएं थीं, वो दुश्मन देश के हाथ तो नहीं लग गईं. कैद में होने के दौरान उससे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी क्या-क्या जानकारियां उगलवाई गईं.

अगर दुश्मन मुल्क के हाथ ऐसी कोई खुफिया जानकारी लग जाती है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी हो, तो राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े सीक्रेट प्लान में बदलाव किया जाता है.

कुछ दिनों के लिए सेना से रखा जाता है अलग

नियमों के तहत जवान को दुश्मन देश से लौटने के बाद कुछ दिन के लिए सेना से अलग रखा जाएगा. अगर जवान की शारीरिक या मानसिक फिटनेस में किसी भी तरह का कोई अंतर देखा जाता है, तो उसे डेस्क जॉब भी दिया जा सकता है.

सबके लिए समान हैं नियम

डिफेंस से जुड़े जानकार कहते हैं कि भले ही किसी भी जवान ने दुश्मन देश में बंदी रहने के दौरान देश की सुरक्षा से जुड़ी कोई भी जानकारी साझा न की हो, लेकिन फिर भी उसे इस जांच प्रक्रिया से गुजरना होगा, क्योंकि ये डिफेंस के सर्विस लॉ का स्टैंडर्ड सिस्टम है, जिसका पालन करना ही होता है.

हालांकि इस जांच के दौरान जवान से सिर्फ सवाल-जवाब ही किए जाते हैं. उसके साथ किसी तरह का कोई अपमानजनक या कठोर बर्ताव नहीं किया जाता है.

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