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कोरोना वायरस और लॉकडाउन के चलते प्रवासी मजदूर दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं और कई मजदूर तो अपनी जान भी गंवा चुके हैं. लेकिन अब मजदूरों की इस मजबूरी पर राजनीति भी शुरू हो चुकी है. कांग्रेस और यूपी की योगी सरकार मजदूरों को घर पहुंचाने को लेकर आमने-सामने हैं. पिछले कुछ दिनों से लगातार चिट्ठियों का दौर जारी है. प्रियंका के प्रस्ताव पर योगी सरकार ने बसें भिजवाने को कहा, लेकिन अब प्रियंका ने फिर आरोप लगाया है कि आगरा प्रशासन उनकी बसों को आगे नहीं बढ़ने दे रहा है.
इस पूरे मामले की शुरुआत प्रियंका गांधी से ही हुई. प्रियंका गांधी ने यूपी सरकार से 16 मई को कहा कि उन्होंने एक हजार बसों की व्यवस्था की है, जिनसे प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाया जा सके. उन्होंने बसों को जाने की इजाजत मांगी. इसके बाद अगले दिन यानी 17 मई को प्रियंका ने एक और लेटर लिखा. जिसमें उन्होंने कहा कि हमारी बसें बॉर्डर पर खड़ी हैं, हमें गरीब मजूदूरों की मदद करने दी जाए. प्रियंका गांधी को कोई जवाब नहीं मिलने पर उन्होंने 18 मई को फिर से योगी सरकार पर हमला बोला और कहा कि "गरीब विपदा के मारे लोगों को ये सरकार कोई भी सहूलियत देने को तैयार नहीं है."
19 मई की सुबह यूपी सरकार की तरफ से प्रियंका गांधी को एक और चिट्ठी आई, जिसमें कहा गया कि आप 12 बजे गाजियाबाद और नोएडा डीएम को बसें मुहैया कराएं. इसके बाद प्रियंका ने करीब 12 बजे लिखी चिट्ठी में शाम 5 बजे तक गाजियाबाद और नोएडा बॉर्डर पर बसें उपलब्ध कराने की बात कही.
लेकिन ये चिट्ठी का दौर यहीं खत्म नहीं हुआ. अब प्रियंका गांधी की तरफ से एक और चिट्ठी आई है. जिसमें कहा गया है कि कांग्रेस की बसें 3 घंटे से यूपी बॉर्डर पर खड़ी हैं, लेकिन आगरा प्रशासन उन्हें आने की इजाजत नहीं दे रहा है. चिट्ठी में लिखा है,
अब बारी यूपी सरकार की है, इस बार देखना होगा कि यूपी सरकार की तरफ से चिट्ठी में क्या जवाब आता है. अब भले ही कई दिनों से यूपी सरकार और कांग्रेस के बीच ये चिट्ठी वाली लड़ाई चल रही हो, लेकिन फिलहाल गरीब मजदूरों को इसका कोई फायदा मिलता नहीं दिख रहा है. अब भी मजदूर हजारों की संख्या में बॉर्डर पर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं.
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