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सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर सेक्सुअल हैरेसमेंट का आरोप लगाने वाली महिला के खिलाफ जांच में नाइंसाफी हुई.इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर में कहा गया है कि जांच में महिला के खिलाफ इकतरफा सुनवाई हुई.
राज्यसभा सचिवालय में सीनियर असिस्टेंट लक्ष्मण सिंह नेगी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि सीजेआई पर आरोप लगाने वाली महिला के खिलाफ जांच उसकी गैर मौजूदगी में 24 घंटे में पूरी हो गई. उसे अपना बचाव करने का कोई मौका नहीं दिया गया.
नेगी ने कहा कि आरोप लगाने वाली महिला का पति उसके कॉलेज के वक्त का दोस्त है . उसने उसकी मदद करने की इच्छा से इस मामले में बचाव करने का मन बनाया था. नेगी ने कहा, जिस वक्त मैंने उसके का बचाव का इरादा जताया था उस वक्त मुझे मालूम नहीं था कि उसने सीजेआई के खिलाफ सेक्सुअल हैरेसमेंट की शिकायत की है. मैंने महिला के जरिये बचाव करने की रिक्वेस्ट दी थी. इस तरह की विभागीय जांच में कोई वकील, सरकारी कर्मचारी या रिटायर्ड अधिकारी बचाव पक्ष का सहायक हो सकता है. लेकिन दुर्भाग्य से जांच अधिकारी ने मुझे इसमें मदद देने के लिए नहीं चुना.
नेगी ने कहा कि बचाव पक्ष का सहायक बनने की उनकी रिक्वेस्ट क्यों ठुकरा दी गई, यह उनके समझ से परे था. उन्हें इसके बारे में कुछ नहीं बताया गया.
चीफ जस्टिस पर सेक्सुलअल हैरेसमेंट का आरोप लगाने वाली महिला को दो वजहों से बर्खास्त किया गया था
महिला को 21 दिसंबर 2018 को बर्खास्त कर दिया गया था. नेगी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के उस अधिकारी से कभी पूछताछ नहीं हुई जिसके पास महिला सीट चेंज करने की रिक्वेस्ट भेजी थी. महिला सुप्रीम कोर्ट इम्प्लॉयज वेलफेयर एसोसिएशन के प्रेसिडेंट बीए राव के पास अपनी सीट चेंज रिक्वेस्ट भेजी थी.
नेगी ने कहा कि 17 दिसंबर सुनवाई के दौरान वह बेहोश हो गईं और सुप्रीम कोर्ट के अधिकारी उसे खुद आरएमएल अस्पताल ले गए. और इधर जांच अधिकारी ने उसकी गैर मौजूदगी में इकतरफा सुनवाई पूरी कर ली.
नेगी का कहना था कि इस जांच की रिपोर्ट भी उसी दिन तैयार कर ली गई. उन्होंने कहा कि अलग अलग अधिकारियों की ओर से सहमति के बाद एक ही दिन में रिपोर्ट को अंतिम रूप देना असामान्य था.
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