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सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शनों के बीच नेशनल सैंपल सर्वे के लिए काम करने वालों पर हमलों को लेकर पूर्व चीफ स्टेस्टिसियन ने चिंता जताई है. उन्होंने आशंका जताई है इससे 2021 की जनगणना के लिए एनपीआर अपडेशन का काम खटाई में पड़ सकता है. 2021 की जनगणना के लिए हाउसिंग लिस्टिंग और एनपीआर अपडेशन का काम इस साल 1 अप्रैल से शुरू होना है. उन्होंने कहा कि इस तरह के हमलों से जनगणना की प्रक्रिया में दिक्कत आ सकती है.
देश के पूर्व चीफ स्टेस्टिसियन और इंडिया प्रोग्राम ऑफ द इंटरनेशनल ग्रोथ सेंटर के कंट्री डायरेक्टर प्रणब सेन ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि सर्वे सिस्टम पहले ही 'गहरे संकट' में है और जनगणना के लिए जरूरी डेटा इकट्ठा करने वालों पर होने वाले हमलों से इस काम को आगे बढ़ाना काफी मुश्किल हो जाएगा. दरअसल सीएए और एनआरसी को लेकर लोगों में बढ़ रहे अविश्वास की वजह से कुछ राज्यों में नेशनल सैंपल सर्वे के लिए आंकड़ा इकट्ठा करने वा लोगों पर हमले हुए हैं.
प्रणब सेन ने कहा कि एनएसएस के फील्ड इनवेस्टिगेटर्स पर पहले भी हमले होते रहे हैं. हालांकि ये घटनाएं इक्का-दुक्का रही हैं. लेकिन इस बार एनपीआर की कार्यवाही हाउस लिस्टिंग से शुरू हो रही है. हाउस लिस्टिंग काफी अहम है क्योंकि इसी के आधार पर जनगणना के लिए काम करने वाले enumertion block दिए जाते हैं. पूरी जनगणना प्रक्रिया में ये केंद्र में होते हैं. लेकिन इस प्रक्रिया में अड़चन आती है तो जनगणना की प्रक्रिया ही संकट में पड़ जाएगी.
प्रणब सेन ने कहा कि अगर आंकड़े इकट्ठा करने वालों का विरोध होता रहा और वे हमले के शिकार हुए तो जनगणना बेहद मुसीबत में पड़ जाएगी. उन्होंने कहा, '' आपके सामने एक ऐसी स्थिति आ सकती है, जहां आप सही ढंग से जनगणना नहीं कर सकते तो अगले दस साल तक परिवारों के बारे में कोई भी सर्वे विश्वसनीय नहीं रह जाएगा. क्योंकि परिवार के सभी सर्वे जनगणना पर निर्भर करते हैं.
दरअसल सीएए-एनआरसी के विरोध में देश में कई जगह प्रदर्शनों के बीच केरल, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में कुछ जगहों पर नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस यानी NSSO के फील्ड कर्मचारियों पर हमले हुए हैं. इसके बाद से ही जनगणना की प्रक्रिया को लेकर चिंता पैदा होने लगी है.
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