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दिल्ली दंगों (Delhi Riots) को मामले में UAPA कानून के तहत गिरफ्तार गुलफिशा फातिमा (Gulfisha Fatima) की रिहाई की मांग तेज हो गई है. फातिमा की गिरफ्तारी को 18 महीने हो चुके हैं, उनके और अन्य राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग को लेकर देशभर में कई जगहों पर प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया.
दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, पुणे, बेंगलुरु, पटना, सीतापुर आदि जगहों पर उनकी गिरफ्तारी के विरोध में बैठकें आयोजित की गई हैं, इन बैठकों को फातिमा के पेरेंट्स ने भी संबोधित किया.
28 साल की फातिमा के खिलाफ कुल 4 एफआईआर दर्ज हैं. इनमें से एफआईआर 48 और 50 जाफराबाद में, एफआईआर 83 सीलमपुर और एफआईआर 50 दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के द्वारा दर्ज की गई है. उनके खुलाफ दंगे, हत्या, हत्या के प्रयास, आर्म्स एक्ट और यूएपीए का मामला दर्ज है.
कई संगठनों की तरफ से जारी संयुक्त बयान में कहा गया है, ''दिल्ली यूनिवर्सिटी से उर्दू में स्नातकोत्तर की छात्रा, एमबीए ग्रैजुएट और रेडियो जॉकी फातिमा उत्तर पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर इलाके की रहने वाली हैं. उन्होंने CAA-NPR-NRC के खिलाफ शांतिपूर्वक प्रदर्शन में हिस्सा लिया. यह आंदोलन की ऊर्जा और खूबसूरती का ही नतीजा था कि गुलफिशा जैसी स्थानीय महिलाओं को नेतृत्व का मौका दिया.''
गुलफिशा की रिहाई की मांग करने वालों में AIPWA, SAHELI, NFIW, सतर्क नागरिक संगठन, AIDWA, बेबाक कलेक्टिव, परचम कलेक्टिव (बॉम्बे), PUCL (राजस्थान) फोरम अगेनस्ट ऑप्रेशन ऑफ वीमेन, नर्मदा बचाओ आंदोलन और कई संगठन शामिल हैं.
इन सगंठनों का कहना है कि फातिमा का मामला हमारे देश के दर्दनाक सच को दिखाता है. ये ऐसे पल हैं जो आजाद दुनिया का सपना देखने की हिम्मत करने वाली युवा महिलाओं पर एक छाप छोड़ चुका है.
इन संगठनों ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि फातिमा की गिरफ्तारी अपवाद नहीं है, बल्कि सभी लोकतांत्रिक और असहमति वाली आवाजों को कुचलने के पैटर्न का हिस्सा है.
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