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2014 में शबनम सुखदेव ने फिल्म ‘द लास्ट एडियू’ के लिए बायोग्राफी वाली कैटेगरी में राष्ट्रीय पुरस्कार जीता. इस फिल्म में शबनम सुखदेव ने अपने प्रसिद्ध फिल्म निर्माता पिता सुखदेव सिंह संधू की जिंदगी का चित्रण किया था.
इस डॉक्यूमेंटरी फिल्म को गोवा के अश्विन अनुराग शुक्ला महज 23 साल की उम्र में शूट किया था. वो पुणे के एक निजी कॉलेज में फोटोग्राफी का बैचलर कोर्स कर रहे थे. इसके बाद जब भी अश्विन को उनके किसी काम के लिए कहीं से तारीफ मिलती थी तो वो लोगों को FTII से पढ़ाई करने के अपने सपने के बारे में बताते थे.
गोवा के फोटोग्राफर दत्ताराज बोडके एक दशक से भी ज्यादा वक्त से अश्विन को जानते थे. कुछ मायने में तो दोनों एक साथ बड़े हुए. फैमिली फ्रेंडस, क्लासमेट, प्रोजेक्ट पर सहयोगी ...इस वजह से दोनों एक साथ जुड़े रहे. अपने एक दूसरे दोस्त चिरायू के साथ दत्ताराज ने 1 अगस्त को पुणे में ही अश्विन से मुलाकात की थी, ठीक एक दिन पहले जब कैंपस में अश्विन आखिरी बार दिखे थे.
क्विंट से बात करते हुए दत्ताराज बोडके कहते हैं
पुणे के ही फोटोग्राफर चिरायु कहते हैं- "मैं महामारी के कारण दो साल के गैप के बाद उनसे मिला. उस दिन मुलाकात में मुझे कुछ भी असामान्य नहीं लगा. जब हम अपने ग्रेजुएशन के दिनों में थे, तो वह हमारे लिए एक मार्गदर्शक की तरह थे. क्योंकि वह कुछ साल बड़े थे और फोटोग्राफी का भी कुछ अनुभव उनको था. मुझे याद है कि एक तस्वीर में वह तीन साल की उम्र में ही कैमरे के साथ था. वह एक फिल्म निर्माता बनना चाहता था. उसके पास फौलादी लक्ष्य और भरपूर आत्म-विश्वास था."
अश्विन के पास अपने तीन प्रोजेक्ट के लिए सिनेमेटोग्राफर के रूप में IMDB की क्रेडिट थी. अर्थ क्रूसेडर, (डॉक्यूमेंट्री-2016), ताप (शॉर्ट-2020), और व्हिसपर ऑफ हेना ट्री (डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट -2021).
श्रीकांत प्रसाद निश्ताला, जो द लास्ट एडियू में पहले सहायक निर्देशक थे और अब मुंबई में एक फिल्म निर्माता हैं ने क्विंट को बताया कि अश्विन न केवल उन सबसे "जुनूनी कलाकारों" में से एक थे, जिनके साथ उन्होंने काम किया है, बल्कि "सबसे उत्सुक श्रोताओं में से भी थे".
श्रीकांत कहते हैं कि वो और अश्विन एक दूसरे को 8-9 साल से जानते थे. श्रीकांत ने अश्विन को "पढ़ा-लिखा बुद्धिजीवी" बताया, जिनके साथ राजनीति से लेकर पेंटिंग तक - कुछ भी बात की जा सकती थी. सभी प्रकार के कैमरों के बारे में वो ज्ञान का भंडार जैसा था.
मुंबई में एक फिल्म निर्माता कादंबरी कर्दम ने श्रीकांत जैसी ही बात कही. हालांकि वो कभी अश्विन से व्यक्तिगत रूप से मिल नहीं पाई. वो कहती हैं:
FTII के छात्रों ने उसके कमरे से दुर्गंध आने के बाद डेक्कन जिमखाना पुलिस को फोन किया. इसके बाद पुलिस अधिकारियों ने दरवाजा तोड़ा. डेकन जिमखाना पुलिस स्टेशन के मुरलीधर कारपे ने कहा कि " क्षत-विक्षत अवस्था में लाश मिली थी. पहली नजर में तो यह आत्महत्या का मामला लगता है. लेकिन अभी तक कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है और हमारी जांच जारी है."
नाम नहीं बताने की शर्त पर FTII के एक छात्र ने बताया कि अश्विन के ज्यादा दोस्त नहीं थे – वो थोड़ा खुद में ही रहते थे.. लेकिन रेगलुर कक्षाओं और और प्रैक्टिल कक्षाओं में आते थे इसलिए उन्हें बाकी लोग जानते थे. वो यह भी बताते हैं कि कंधे में परेशानी की वजह से वो कुछ दवा भी ले रहे थे.
अश्विन के साथ पहले एक प्रोजेक्ट पर काम कर चुके एफटीआईआई के एक अन्य छात्र ने कहा कि कई बार ऐसा भी होता था जब वो इलाज की वजह से कुछ दिनों तक आता ही नहीं था.
FTII के रजिस्ट्रार सईद रब्बीहाशमी ने एक बयान में कहा, "सिनेमैटोग्राफी के छात्र ने शुक्रवार सुबह आत्महत्या कर ली, उसके शव को पोस्टमॉर्टम के लिए ससून ले जाया गया. पुलिस जांच से ही अब वजह पता चल पाएगा. "
अश्विन का अंतिम संस्कार 6 अगस्त को पुणे में किया गया. अब उनके परिवार में उनके माता-पिता और एक जुड़वा भाई है.
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