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गैंग्स अॉफ पुणे: अंडरवर्ल्‍ड का नया ठिकाना बनता जा रहा ये शहर

पुणे के आसपास 9 बड़े और 12 छोटे गैंग अपना रैकेट चला रहे हैं.

आशीष दीक्षित
भारत
Updated:
9 बड़े गैंग हैं पुणे में सक्रिय (फोटो: आशीष दीक्षित/द क्विंट)
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9 बड़े गैंग हैं पुणे में सक्रिय (फोटो: आशीष दीक्षित/द क्विंट)
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यूं तो पुणे को देश की ‘संस्‍कारधानी’ कहा जाता है, लेकिन हाल के वक्‍त में ये ‘क्राइम सिटी’ के तौर पर उभरता नजर आ रहा है.

मतलब, अगर आपको लगता है कि पुणे एक अच्छी और शांत जगह है, तो आप गलतफहमी में हैं.

पिछले सप्ताह ही दत्ता फुगे उर्फ ‘गोल्ड मैन’ को उनके बेटे के सामने पत्थरों से पीट-पीटकर मार डाला गया. ये हत्या लेन-देन को लेकर हुई है, लेकिन इससे शहर के संगठित अपराध के बारे में बहुत कुछ निकल कर सामने आता है.

दत्ता फुगे की 15 जुलाई, 2016 को हत्या कर दी गई. (फोटो: PTI)

पिछले तीन दशकों में पुणे सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर इंडस्ट्री जमकर फली-फूली है. एक तरफ पुणे में सैकड़ों कॉलेज खुल गए हैं, दूसरी तरफ देश में आने वाले कुल विदेशी छात्रों में से 40% पुणे में ही हैं. बिहार और उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा माइग्रेशन भी पुणे की तरफ है.

लोगों की अच्छी इनकम होने की वजह से जमीन के दाम आसमान छू रहे हैं. गुड़गांव और नवी मुंबई की तरह किसानों को उनकी जमीन के लिए मनमाफिक दाम मिल रहे हैं. इसी जमीन की वजह से धीरे-धीरे पुणे में बाहुबल फैलने लगा. किसानों की जमीन कब्जाने के चक्कर में नए नए गैंग बनने लगे. इनके लिए लड़के पास के गांवों से भर्ती किए जाने लगे.

पुणे के पास इंडस्ट्रियल एरिया (फोटो: रॉयटर्स)

अब इन गैंगवारों में दिनदहाड़े हत्याएं आम हो गई हैं. सबसे खतरनाक गैंगवार गज्या मार्ने और नीलेश घयवाल के बीच हुई. 29 नवंबर, 2014 में नवी पेठ एरिया में दोनों गैंगों के बीच जमकर हथियार चले, इनमें से कुछ सीन आप नीचे देख सकते हैं. पुणे में सक्रिय 9 प्रमुख गैगों में से ज्यादातर आसपास के गांवों में पैदा होते हैं, जो अभी-अभी विकसित हुए हैं. पुलिस का दावा है कि जब से उन्होंने मकोका कानून का इस्तेमाल किया है, तब से अपराधों में कमी आई है.

सभी खतरनाक अपराधी अभी जेल में हैं. हमने 2015 में 14 और 2016 में 4 गैंगों के खिलाफ मकोका लगाया. सभी गैंग्सटर जेल में हैं. जो नहीं भी हैं, वो कुछ भी करने से डर रहे हैं
जय जाधव, एसपी पुणे

सफेदपोश गैंग्स

गैंग से जुड़े अपराध केवल जमीन तक सीमित नहीं हैं. इंडस्ट्री में कैंटीन, कबाड़, सिक्योरिटी और ट्रांसपोर्ट को लेकर भी ये गैंग कंपनियों को धमकाते रहते हैं. इनमें से कुछ लोग 2013 में तब के केंद्रीय मंत्री शरद पवार से भी मिले थे. लेकिन हालात में फिर भी कोई सुधार नहीं आया. द क्विंट ने कुछ इंडस्ट्री मालिकों से बात करने की कोशिश की, लेकिन गैंग्स के राजनीतिक संबंधों की वजह से कोई सामने नहीं आ रहा है.

कांट्रैक्ट में बढ़ रहा है गैंगवार (फोटो: रॉयटर्स)

रेत माफिया

बढ़ते रियल स्टेट की वजह से रेत की मांग तेजी से बढ़ी है. इसकी वजह से कुछ रेत माफिया भी सामने आ गए हैं. अभी हाल में अप्पा लोंधे, जिसके पास 50 लोगों की गैंग थी, उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई.

गांवों की तरफ बढ़ता पुणे (फोटो: रॉयटर्स)

गैंग्स और धार्मिक उन्माद

एक समय बहुत शांत रहने वाला पुणे आज हर तरह के अपराधियों का घर बन चुका है. इनमें धार्मिक कट्टरता भी सबसे ऊपर है. इसी का परिणाम था कि दिनदहाड़े तर्कशास्त्री नरेंद्र दाभोलकर की हत्या हो गई थी. वहीं 2014 में भी एक मुस्लिम युवक की हत्या के बाद माहौल तनावग्रस्त हो गया था.

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Published: 25 Jul 2016,03:53 PM IST

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