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डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को दोषी करार दिए जाने के बाद भड़की हिंसा पर हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा है कि ऐसा लगता है सरकार ने सरेंडर कर दिया है और जान बूझकर राजनीतिक फायदे के लिए शहर को जलने दिया.
हाईकोर्ट ने राम रहीम की पूरी संपत्ति का 29 अगस्त को ब्योरा मांगा है.
पिछले कई दिनों से राम रहीम के भक्त पंचकूला जुट रहे थे, मीडिया में लगातार खबरें आ रही थीं, कि राम रहीम के खिलाफ फैसला आने के बाद उनके भक्त हंगामा कर सकते हैं, लेकिन पहले से जानकारी होने के बावजूद हरियाणा सरकार की लापरवाही की वजह से 31 लोगों की जान चली गई और 250 से ज्यादा लोग घायल हो गए.
सरकार के इस लापरवाही भरे रवैये पर विपक्ष ने भी हमला बोला है. कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि राज्य में बड़े पैमाने पर हुई हिंसा के मद्देनजर अगर खट्टर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दें तो उन्हें बर्खास्त कर देना चाहिए.
थरूर ने कहा, आखिरकार मुख्यमंत्री और उनका मंत्रिमंडल राज्य में कानून एवं व्यवस्था के लिए जिम्मेदार होते हैं. यह खट्टर सरकार की नाकामी है और उन्हें बर्खास्त किया जाना चाहिए.
थरूर ने कहा, "हरियाणा सरकार कहां थी? उन्होंने लोगों को इकट्ठा कैसे होने दिया? सबको पता था कि वे (अनुयायी) हिंसा पर उतारू थे, फिर हरियाणा सरकार ने धारा 144 लगाकर स्थिति नियंत्रण में क्यों नहीं की? प्रबंधन नाकाम रहा अब बहुत हो चुका है और वो अपने पद से इस्तीफा दें.
बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने भी हरियाणा में भड़की हिंसा से निपटने में राज्य सरकार पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया. उन्होंने खट्टर सरकार को बर्खास्त करने की मांग की है.
मायावती ने बयान जारी कर कहा- वोट की राजनीति करने के लिए हरियाणा की बीजेपी सरकार के इस प्रकार के शर्मनाक समर्पण की जितनी भी निंदी की जाए वह कम होगी. हरियाणा में जो हिंसा का तांडव हुआ, उसके लिए केवल और केवल बीजेपी की वोट बैंक की राजनीति और हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर सरकार की लापरवाही जिम्मेदार है.
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