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बॉर्डर सिक्यॉरिटी फोर्स (BSF) के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने को लेकर हुआ विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है. पंजाब के राजनीतिक दलों ने केंद्र सरकार ने बीएसएफ के अधिकारी क्षेत्र को बढ़ाने वाली अधिसूचना वापस लेने की मांग की है. 25 अक्टूबर को सर्वदलीय बैठक इससे संबंधित एक प्रस्ताव भी पास किया है. पंजाब सरकार ने मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने का भी ऐलान किया है
पंजाब के सीएम चरणजीत चन्नी ने 25 अक्टूबर को कहा कि उन्होंने गृह मंत्री और प्रधानमंत्री को बीएसएफ का अधिकारी क्षेत्र बढ़ाने के विरोध में चिट्ठी लिखी है, लेकिन अभी तक उस चिट्ठी का जवाब नहीं आया है. प्रधानमंत्री से मुलाकात के भी समय मांगा गया था, लेकिन नहीं मिला.
इसी महीने केंद्र सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर पंजाब, असम और पश्चिम बंगाल में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को 15 वर्ग किमी से बढ़ाकर 50 किमी तक कर दिया था. जबकि गुजरात में 80 वर्ग किमी के अधिकार क्षेत्र को घटाकर 50 किमी कर दिया था.
एक गजट अधिसूचना में केंद्र सरकार ने कहा था कि वह अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से जुड़े राज्यों में शक्तियों का प्रयोग करने के लिए बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र से जुड़े जुलाई 2014 की अधिसूचना में संशोधन कर रही है.
सरकार के इस फैसले का पंजाब में काफी विरोध हुआ था. मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी समेत अन्य नेताओं ने सरकार के इस कदम पर आपत्ति जताई थी. पश्चिम बंगाल में सत्ता पर काबिज टीएमसी ने भी सरकार के फैसले पर ऐतराज जताया है.
ममता ने सिलीगुड़ी में कहा, ''पंजाब की तरह हम भी बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने का विरोध कर रहे हैं. हमारी सीमा के इलाके पूरी तरह से शांतिपूर्ण हैं. कानून-व्यवस्था पुलिस का मामला है, राज्य का विषय है, यह डिस्टर्बेंट पैदा करेगा. राज्य सरकार राज्य के कानूनों का पालन करेगी.''
सरकार का कहना है कि इस निर्णय का उद्देश्य आतंकवाद और सीमा पार अपराधों के खिलाफ "जीरो टोलरेंस" सुनिश्चित करना है, लेकिन विपक्ष ने इसे संघवाद के खिलाफ बता सरकार को घेरना शुरू कर दिया है.
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